Dainik Athah

एमएलसी दिनेश गोयल ने विधान परिषद में उठाया शत्रु संपत्ति व शमशान घाटों का मुद्दा

श्मशान घाटों को नगर निगम द्वारा संचालित करने की उठाई मांग

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
एमएलसी दिनेश गोयल ने महानगर बजरिया मोहल्ले के ग्राम-कैला के खसरा सं0-681, 682, व 750 जिनका क्षेत्रफल लगभग 16 हजार वर्ग गज है तथा इसमें सभी हिन्दू परिवार बसे हुए है और अब इन परिवारों को शत्रु सम्पत्ति विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा रहा है। जबकि लोगों के पास भूमि खरीद की मूल प्रतियों होने के बावजूद भी उनके भूमि को शत्रु सम्पत्ति घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। जो कि निदंनीय है। 1947 में देश के बटवारे के बाद यहाँ आकर बसे पंजाबी-हिन्दू परिवार जिनको पाकिस्तान की सम्पत्ति के क्लेम में बजरिया में सम्पत्ति प्राप्त हुई थी।

इसी प्रकार मोदीनगर में भी 600 परिवारों की भी शत्रु सम्पत्ति होने की जाँच की जा रही है जबकि उन सभी 600 परिवारों के पास अपने क्लेम बाउचर है। ये बैनामे 1948, 1949, 1950 व 1951 के है। इनके बावजूद जज, पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, उनको फर्जी कागज बताकर शत्रु सम्पत्ति बता रहे हैं। इस तरह से मनमानी कर रहे है जिसके कारण लोगों में भारी रोष व्याप्त है। इस अविलम्बनीय लोक महत्व के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रदेश के शत्रु सम्पत्ति विभाग द्वारा बिना किसी रिकार्ड के आम जनता बेघर करने के सम्बन्ध में जॉच कराकर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही की मांग की गई।

साथ ही जनपद-गाजियाबाद स्थित नगर निगम के अन्तर्गत आने वाले शमशान घाटों को नगर निगम द्वारा संचालित किये नगर निगम द्वारा हिण्डन शमशान घाट पर ग्रीन शवदाह जोन बनाया जा रहा है तथा अन्य विकास के कार्य भी कराने की योजना है। इसके साथ ही शहर के अन्य भागों में चल रहे शमशान घाट जिसमें शास्त्री नगर शमशान घाट, रजापुर शमशान घाट, करहेड़ा शमशान घाट व इन्दिरापुरम शमशान घाट प्रमुख है जो कि कोरोना काल में चलाया गया था जो आज भी संचालित है। ये समस्त शमशान घाट नगर निगम क्षेत्र में तो हैं किन्तु नगर निगम द्वारा संचालित नहीं है। इन संचालित शमशान घाटों को प्राइवेट लोगों के द्वारा सिर्फ लकड़ी बेचकर मुनाफा कमाने के लिए चलाया जा रहा है।

दाह संस्कार के उपरान्त दाह-संस्कार की पर्ची नहीं दी जाती है, जिस कारण जनपद-गाजियाबाद के उपरोक्त शमशान घाटों पर दाह संस्कार कराने वालों को उनके पर्ची न होने के कारण मृतक के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नगर निगम का चक्कर लगना पड़ता है। इसलिए जनपद-गाजियाबाद के उपरोक्त शमशान घाटों को नगर निगम द्वारा संचालित करने के सम्बन्ध मे सदन में चर्चा एवं वक्तव्य दिलाये जाने की मांग की गई।

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