- भाजपा में जिला- महानगर अध्यक्षों के नामों पर घमासान
- दो दिन के दौरे पर शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे विनोद तावड़े
- शुक्रवार को पूरे दिन जारी रहा बैठकों का दौर
- सूत्र: मुख्यमंत्री के समक्ष भी जायेगी अध्यक्षों की सूची
- संघ की सलाह को नजरअंदाज करने के पक्ष में नहीं केंद्रीय नेतृत्व

अशोक ओझा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी में जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची को लेकर संगठन में जबरदस्त घमासान की स्थिति है। इस घमासान का समाधान तलाशने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने राष्टÑीय महामंत्री एवं यूपी के संगठन चुनाव के पर्यवेक्षक विनोद तावड़े को लखनऊ भेजा है। अब देखना है कि दो दिन में किस प्रकार घमासान का समाधान तावड़े कर पाते हैं।
भाजपा के जिला और महानगर अध्यक्षों के नाम तय करना भाजपा के प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व के लिए सिरदर्द बन चुका है। स्थिति यह है कि प्रदेश के क्षत्रप अपने अपने खास लोगों को किसी भी प्रकार जिला और महानगर अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। बता दें कि राष्टÑीय महामंत्री एवं प्रदेश के संगठन चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि संगठन में जिला और महानगर अध्यक्ष किसी की जेब का नेता नहीं बनेगा। अध्यक्ष पदों पर पुराने और अनुभवी तथा युवाओं को महत्व दिया जायेगा। बावजूद इसके क्षत्रप अपने अपने लोगों को अध्यक्ष बनाना चाह रहे हैं।
स्थिति यह है कि दिल्ली से बातचीत कर लौटे प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी एवं प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की वापसी के बाद अध्यक्षों की घोषणा की उम्मीद थी वह भी नाउम्मीदी में बदल गई। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली से जिस सूची पर चर्चा हुई थी वह प्रदेश अध्यक्ष को मंजूर नहीं थी। इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने राष्टÑीय महामंत्री विनोद तावड़े को लखनऊ भेजा है। तावड़े दो दिन के दौरे पर शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे जिसके बाद लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा। अब शनिवार को एक बार फिर से बैठकों का दौर चलेगा। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भी सूची जायेगी। संभव है कि वे भी कुछ नामों को लेकर सलाह दें।
केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष संकट यह है कि एक तरफ दिल्ली में सरकार बनानी है, प्रदेश अध्यक्षों के साथ ही राष्टÑीय अध्यक्षों का चुनाव भी होना है ऐसे में जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप न दिये जाने से कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा है। दूसरी तरफ प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह अक्षरश: केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार सूची घोषित करने के पक्षधर बताये जा रहे हैं, जो संगठन और सरकार में बैठे लोगों को नागवार गुजर रहा है। ऐसे में विनोद तावड़े कैसे घमासान का समाधान तालाशते हैं यह भी देखने योग्य होगा। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बार संघ की सलाह को भी नजरअंदाज करने के पक्ष में नहीं है। बता दें कि संघ की सक्रियता के बाद ही भाजपा हरियाणा, महाराष्टÑ और दिल्ली में बाजी पलटने में सक्षम हो सकी है।
यह माना जाना चाहिये कि यदि विनोद तावड़े घमासान का समाधान तलाश कर लेते हैं तो अगले दो से तीन दिन में जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची घोषित हो सकती है।