- जिला- महानगर अध्यक्षों के लिए कुछ दिन और करना पड़ सकता है ‘इंतजार’
- दो दिन से लगातार चल रही है चुनाव अधिकारियों की मैराथन बैठकें
- सभासदों- पार्षदों की सूची जाने के बाद हो सकती जिलाध्यक्षों- महानगर अध्यक्षों की घोषणा
अशोक ओझा
लखनऊ। प्रदेशभर में भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ताआें को इंतजार है कि उनके जिले में अथवा महानगर में अध्यक्ष का ताज किसके सिर पर सजेगा, लेकिन जो स्थिति है उसे देखते हुए लगता है कि अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ सकता है। सूची में देरी के चलते प्रदेश के चुनाव में भी देरी होना तय है।
बता दें कि जनवरी मध्य से ही प्रदेशभर में जिला और महानगर अध्यक्ष पद के दावेदारों के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को भी इंतजार है कि उनके जिले अथवा महानगर में अध्यक्ष कौन होगा। जिलाध्यक्षों के लिए नामांकन पत्र भरे जा चुके हैं। इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर दावेदारों के नामों पर मंथन होने के बाद सभी क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ भी दावेदारों को लेकर मंथन हो चुका है। इसके साथ ही पिछले दिल्ली आये प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने राष्टÑीय स्वयं सेव संघ के वरिष्ठ और जिम्मेदारों से भी उनका मत प्राप्त कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार जो सूची पहले तैयार की गई थी उसको लेकर कुछ सवाल केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन महामंत्री के समक्ष उठाये थे। इसके बाद लखनऊ लौटने के बाद अब प्रदेश कार्यालय में एक बार फिर से मंथन शुरू हुआ है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के संगठन चुनाव अधिकारी महेंद्र नाथ पांडेय अलग अलग जिलों के चुनाव अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। ये बैठकें प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की मौजूदगी में हो रही है।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश महामंत्री संगठन जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची को लेकर इतना अधिक गंभीर है कि वे किसी भी प्रकार की कमी इसमें छोड़ना नहीं चाहता जिससे कोई भी इसके ऊपर सवाल खड़े करें। यह भी बताया जाता है कि जिन दावेदारों के चरित्र को लेकर कोई सवाल खड़े किये गये हों अथवा जिनके खिलाफ अनुशासनहीनता के आरोप हैं या फिर जिनके ऊपर किसी प्रकार के अपराधिक आरोप और साथ ही गंभीर प्रकृति के अपराधों में मुकदमें दर्ज है ऐसे लोगों को लेकर विशेष रूप से मंथन किया जा रहा है।
यदि सूत्रों पर भरोसा करें तो भाजपा प्रदेश संगठन इस बार संघ को किसी भी हालत में नजरअंदाज अथवा उनकी राय को कम महत्व देने के मूड में नहीं है। इस स्थिति में यह मंथन विशेष मायने रखता है।
जिस प्रकार नये सिरे से कील कांटे दुरूस्त किये जा रहे हैं उससे लगता है कि एक बार फिर सूची को अंतिम रूप देने के बाद प्रदेश महामंत्री संगठन सूची को लेकर दिल्ली जायेंगे और केंद्रीय नेतृत्व खासकर राष्टÑीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष एवं प्रदेश के संगठन चुनाव पर्यवेक्षक एवं राष्टÑीय महामंत्री विनोद तावड़े से चर्चा करेंगे। इसके बाद ही सूची को घोषित किया जायेगा। यह भी संभव है कि नामित होने वाले पार्षदों एवं सभासदों के दावेदारों की सूची जिलों से भेजने के बाद ही नये जिला और महानगर अध्यक्ष घोषित हो। अब भाजपा कार्यकर्ताओं को सूची के लिए कुछ दिन और इंतजार करना पड़ सकता है।