- रेड मॉल की जीत का श्रेय लेने की होड़ पड़ गई भारी
- गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को लेकर कई योजनाओं पर उठे सवाल
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। रेड मॉल पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के बकाया 218 करोड़ रुपए की वसूली का रास्ता भले ही साफ हो गया हो लेकिन इस मॉल के लगभग 250 दुकानदारों के सामने खड़े संकट से निजात की कोई सूरत फिलहाल नजर नहीं आ रही है। मॉल में निवेश करने वाले इन दुकानदारों के सामने व्यापार संचालन का सवाल अभी अनसुलझा है। वहीं दूसरी तरफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के ताजा फैसले को उपलब्धि बताने पर आम लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। (ट्विटर) पर जीडीए की पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया बताती है कि प्राधिकरण की साख पर लगा धब्बा आसानी से धुलने वाला नहीं है।
गौरतलब है कि बुधवार को आए फैसले को बड़ी उपलब्धि बताते हुए जीडीए की ओर से ट्वीट किया गया था। जिसमें एक अखबार की खबर प्रमाण के तौर पर साझा की गई थी। जिस पर प्रतिक्रिया स्वरूप एक नागरिक ने गाजियाबाद का निवासी होने पर स्वयं के गौरवान्वित होने की बात कही थी। वहीं दूसरी ओर एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया ‘यह सबसे बड़ी नाकामी है प्रशासनिक विभाग की, वसूली के नाम पर सालों से बंद है मॉल, और अगले दस साल इसी तरह बंद रहेगा मॉल। ना ही कोई व्यापार होगा ना ही पैसे आएंगे, इसलिए सबसे भ्रष्ट विभाग है गाजियाबाद शहर को सत्यानाश करने में’।
यही नहीं जीडीए ट्विटर पर एक और प्रतिक्रिया गौरतलब है। जिसमें कहा गया है ‘योगी जी डबल इंजन सरकार हैं फिर भी लोनी में रिकार्ड तोड़ भ्रष्टाचार है। अगर रिश्वत देने के लिए आपके पास पैसा है तो तो इस कालोनी में सड़क पर भी घर बना लीजिए। प्रति फ्लोर लैंटर पर लाखों का चढ़ावा ले कर जाते हैं जीडीए के अधिकारी। जांच हो’। इस प्रतिक्रिया के साथ ही मौके की सचित्र वास्तविक स्थिति भी दर्शाई गई है।
एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया है ‘अजनारा इनटिग्रेटिड के विकासकर्ता अजनारा का मामला जब एनसीएलटी में गया तो जीडीए उधर झांका भी नहीं। अजनारा इनटिग्रेटिड सोसायटी के पांच टॉवर फंस गए, तैयार फ्लैट्स की रजिस्ट्री रुक गई, सरकार का राजस्व रुक गया। जीडीए ने उस केस में अपेक्षित भूमिका नहीं निभाई’। ऐसी ही प्रतिक्रिया कोयल एन्क्लेव की प्लेनेट वन सोसायटी और अर्थला की पार्श्वनाथ एग्जोटिका को लेकर भी व्यक्त की गई है।
ट्विटर पर अपनी उपलब्धि का योगदान करने के साथ ही जीडीए को जवाब में आई प्रतिक्रिया का संज्ञान भी लेना चाहिए था। रेड मॉल प्रकरण में जीडीए के आला अधिकारी जिस त्वरित गति से श्रेय ले रहे हैं, उसी त्वरित गति से लोगों के उस दुख और दर्द का निवारण भी करना चाहिए जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है।