वास्तु के अनुसार रसोईघर का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है। रसोई के बिना किसी घर या आवास की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।रसोईघर स्थान है जहां पारिवारिक सदस्यों का उदर पोषण होता है।इसलिए वास्तु में रसोई घर का जो स्थान है बहुत ही सर्वोपरि एवं महत्वपूर्ण माना गया है।यदि आपके घर में रसोई घर उचित स्थान पर नहीं है तो परिवार के सदस्यों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, परस्पर वाणी दोष, महिलाओं में असंतोष बना रहता है ।वास्तु में दिशाओं के अनुसार दक्षिण और पूर्व के कोने को आग्नेय दिशा कहते हैं। यह दिशा रसोई के लिए सबसे उत्तम होती है। वास्तु शास्त्र में आग्नेय कोण का विस्तार 112.5 अंशों से 157.5 अंशों तक होता है।इस दिशा का आधिपत्य शुक्र ग्रह के अधीन है। इस दिशा के के स्वामी अग्नि देव हैं। प्रातः काल पूरब से उदय होता हुआ सूर्य जब दक्षिण में बढ़ता है तो सबसे ज्यादा सूर्य का ताप, गर्मी, सूर्य की उपस्थिति इसी दिशा में होती है।इसलिए सबसे पॉजिटिव सबसे ऊर्जावान यही क्षेत्र होता है। अब मैं रसोईघर को एक इकाई मानकर संपूर्ण विश्लेषण करूंगा।आप अपने रसोई घर में जाएं । रसोई छोटी है अथवा बड़ी है इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। रसोई घर का सामान वास्तु अनुसार व्यवस्थित और यथा स्थान होना चाहिए। रसोई के मध्य भाग में खड़े करके अपने कंपास से दिशाओं का ठीक से अवलोकन करें।रसोई घर में चूल्हे का विशेष महत्व है, चूल्हे में अग्नि का वास होता है क्योंकि क्योंकि इस पर निरंतर भोजन आदि बनता रहता है।यह रसोई घर के आग्नेय कोण में होना चाहिए और गृहिणी का मुख खाना बनाते समय पूर्व दिशा में हो तो सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। चूल्हे के नीचे ही सिलेंडर का स्थान होना चाहिए। वैसे आजकल महानगरों व सोसाइटी में रसोई घर तक गैस लाइन की फिटिंग हो रही है, यह भी अच्छा है। लेकिन यहां ध्यान रखने की बात है कि फिटिंग भी दक्षिण दिशा की ओर से ही चूल्हे तक मे आनी चाहिए। चूल्हे के दायीं और अर्थात दक्षिण दिशा की ओर ओवन आदि लगवा सकते हैं।चूल्हे के बायीं और अर्थात पूर्व की ओर पीने के जल का स्थान उत्तम होता है। किंतु जल और चूल्हे में अंतर अवश्य रखें। पूर्व में ही आर ओ लगवाएं। अक्सर देखा जाता है कि रसोई में दो-तीन स्लैप होते हैं । जिस पर रसोई का सभी सामान व्यवस्थित रूप से लगा रहता है। ऐसे सामान को दक्षिण पश्चिम की ओर बने हुए इन स्लैप पर रखना चाहिए । यदि रसोई घर के दक्षिण पश्चिम की ओर कोई स्थान खाली है या छोटा कमरा है तो वहां पर रसोई के सामान का स्टोर बना देना चाहिए। रसोई का द्वार पूर्व में या उत्तर में अच्छा रहता है। रसोई घर में चूल्हे वाले स्लैप के नीचे अधिकतर साफ बर्तन रखने के स्थान अच्छा रहता है। यदि कोई बर्तन स्टैंड लगाना है तो पश्चिम की दीवार पर लगा सकते हैं।रसोईघर में पश्चिम की ओर बर्तन आदि साफ करने का का स्थान सिंक अच्छा रहता है। क्योंकि वहां पर झूठे बर्तन आदि साफ होते हैं, इसलिए वह स्थान उत्तम है। रेफ्रिजरेटर उत्तर पश्चिम दिशा अर्थात वायव्य कोने में अच्छा रहता है।यदि आपकी रसोई छोटी है तो कभी-कभी सामान रखने में असुविधा होती है। और सामान को एडजस्ट करना पड़ता है। उस समय यह ध्यान रखें कि कभी भी सिलेंडर के ऊपर पानी का जग या घड़ा आदि ना रखें।चूल्हे के पास पीने का पानी न रखें।चूल्हे के ऊपर चिमनी बनी होती है धुआं निकासी का प्रबंध दक्षिण अथवा पश्चिम को रखें।यदि आपके घर में साउथ ईस्ट में अर्थात अग्नि कोण में रसोई का स्थान नहीं है तो उसका विकल्प उत्तर पश्चिम अर्थात वायव्य कोण हो सकता है। वायव्य कोण में यदि रसोई घर बना रहे हैं तो उपरोक्त वास्तु प्रक्रिया उस स्थान पर भी अपनानी पड़ेगी।उत्तर दिशा ,उत्तर पूर्व अर्थात ईशान दिशा और मध्य पूर्व में रसोईघर कदापि न बनाएं।आग्नेय कोण का संबंध महिला सदस्यों से होता है ।यदि इसदिशा में उचित रूप से अग्नि से संबंधित वस्तुएं रखी जाएगी तो यह घर में सुख शांति प्रदान करने वाला होगा। आग्नेय कोण में ही महिलाओं का श्रृंगार प्रसाधन आदि का क्षेत्र होता है। यह स्थान शुक्र के स्वामित्व में आता है। इसलिए गृहस्थ जीवन में स्त्रियों को प्रसन्न करने के लिए शुक्र का मजबूत होना आवश्यक होता है। इस स्थान को अर्थात आग्नेय कोण को व्यवस्थित और साफ रखें तो हमारा घर लक्ष्मीदायक और समृद्धि कारक बनेगा। इस स्थान पर बने हुए भोजन से सभी परिवार के लोग स्वस्थ रहेंगे। पंडित शिवकुमार शर्मा,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट