- पश्चिमी उप्र के कई जिलों के साथ ही प्रदेश के अनेक जिलों के मंडल अध्यक्षों की घोषणा शुरू
- भाजपा मंडल अध्यक्षों की घोषणा पर लगी है सभी की निगाह
- अब भी मंथन नहीं हुआ तो लटक सकती है मंडल अध्यक्षों की सूची
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्षों की सूची को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। जबकि, जिला और प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा के लिए अंतिम तारीख घोषित की जा चुकी है। अब मंडल अध्यक्षों के नामों पर दो अथवा तीन जनवरी को मुहर लगने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 19 में से अब तक मात्र नौ जिलों के मंडल अध्यक्ष पदों के नामों पर मुहर लग चुकी है। लेकिन दस जिलों के मंडल अध्यक्षों के नामों पर अब तक मुहर नहीं लग सकी है। भाजपा सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने दो दिन पहले संगठन चुनाव की समीक्षा के दौरान मंडल अध्यक्षों, जिलाध्यक्षों के साथ ही प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा के लिए तारीख तय कर दी है। अब दस जनवरी तक जिलाध्यक्ष एवं 15 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा होनी है। इससे पहले मंडल अध्यक्षों की सूची भी घोषित होनी है
भाजपा सूत्रों के अनुसार दस जिलों में मंडल अध्यक्षों को लेकर संगठन एवं जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव की स्थिति है। पार्टी जनप्रतिनिधियों को नाराज करने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। इसका कारण यह है कि केंद्रीय नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश है कि जनप्रतिनिधियों की राय अवश्य ली जाये। टकराव का कारण जिलों के सह चुनाव अधिकारी रहे हैं जिन्होंने अपनी मर्जी से पैनल बनाकर भेजे हैं। अब यहीं पैनल विवाद की जड़ बन गये हैं। सूत्रों के अनुसार अब दो अथवा तीन जनवरी को लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय में शेष दस जिलों को लेकर मंथन हो सकता है। यदि इन दिनों में मंथन नहीं हो सका तो फिर पांच जनवरी के बाद ही बैठक का प्रयास होगा। इसका कारण यह है कि पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाजियाबाद आ सकते हैं। वे साहिबाबाद आरआरटीएस स्टेशन से नमो भारत ट्रेन में सवार होकर अशोक नगर स्टेशन तक जायेंगे।
प्रधानमंत्री के आगमन पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत अनेक नेता उनकी अगवानी करेंगे जिस कारण वे चार जनवरी को ही गाजियाबाद पहुंच जायेंगे। अब देखना यह है कि दो अथवा तीन जनवरी को लखनऊ में बैठक हो पाती है अथवा नहीं।