Dainik Athah

‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ को धरातल पर उतारने को है अरबों खरबों की दरकार

  • मौजूदा वित्तीय वर्ष में सुधरी है जीडीए की आर्थिक सेहत
  • मधुबन बापूधाम योजना के लिए लिया गया कर्ज चुकाना भी है बड़ी चुनौती

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद
। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के लिए सफेद हाथी साबित होने वाली मधुबन बापूधाम आवासीय योजना वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। इसे प्राधिकरण के मुखिया अतुल वत्स का अतिरिक्त साहस ही माना जाएगा कि वह इस योजना को ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के रूप में देख रहे हैं। क्योंकि इस योजना के लिए लिए गए कर्ज की अभी तक भरपाई नहीं हो पाई है। यहां यह भी गौरतलब है कि मौजूदा समय में प्राधिकरण को कर्ज की किस्त की अदायगी के साथ-साथ लगभग 80 करोड़ रुपए सालाना का ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है। प्राधिकरण के खाली खजाने के साथ समस्याओं से लबरेज मधुबन बापूधाम योजना को ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के रूप में देखना निसंदेह अतुल वत्स के साहस को ही दशार्ता है।

प्राधिकरण की वर्ष 2024 की वित्तीय स्थिति का आकलन बताता है कि इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 30 नवंबर के मध्य प्राधिकरण की कुल प्राप्तियां 732 करोड़ रुपए के आसपास हैं। जबकि इसी अवधि में गत वर्ष प्राधिकरण की कुल प्राप्तियां 485 करोड़ रुपए थीं। मोटे तौर पर माना जा सकता है कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्राधिकरण की प्राप्तियां 247 करोड़ रुपए अधिक रही हैं। लेकिन यह महज आंकड़े हैं। आंकड़ों के आधार पर आकलन और अनुमान तो लगाया जा सकता है लेकिन इन आंकड़ों से मधुबन बापूधाम योजना की सूरत कितनी बदलेगी यह भविष्य ही बताएगा।

यहां यह तथ्य भी गौरतलब है कि प्राधिकरण के सिर पर करीब 500 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। जानकारों का कहना है कि इस कर्ज की किस्त और ब्याज की अदायगी में ही प्राधिकरण को लगभग 150 करोड़ रुपए सालाना का भुगतान करना पड़ता है। तकरीबन 1234 एकड़ में फैली इस योजना में बुनियादी सुविधाओं का नितांत अभाव है। दिनांक 26 अगस्त 2021 को संपन्न प्राधिकरण की 158वीं बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किए गए कुछ विचारणीय बिंदु भी गौर करने वाले हैं।

बोर्ड बैठक के प्रस्ताव संख्या 6 (जो मधुबन बापूधाम योजना से ही संबंधित है) के कार्यवृत्त के पृष्ठ संख्या 37 से 41 में दर्ज खर्च के आकलन व गणना के अनुसार मधुबन बापूधाम योजना अंतर्गत प्रस्तावित/ संभावित अवशेष विकास कार्य पर कुल व्यय 2082 करोड़ 85 लाख रुपए का आकलन उल्लिखित है। इस गणना में यह कहीं वर्णित नहीं है कि मौके पर भौतिक रूप से कितना विकास कार्य संपन्न हो चुका है और कितना शेष है। यदि हम इस गणना को सच मानते हुए यह आकलन कर लें कि योजना में पचास फीसदी विकास कार्य पूर्ण हो गए तब भी प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार 1040 करोड़ रुपए का विकास कार्य शेष है। प्राधिकरण के यह आंकड़े लगभग साढ़े तीन साल या उससे भी अधिक पुराने हो सकते हैं। वर्तमान समय में मधुबन बापूधाम की सूरत बदल कर ड्रीम प्रोजेक्ट पर कितना खर्च आएगा इसका आकलन भी आवश्यक है।


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