- भाजपा के मंडल अध्यक्षों पर लगी है कार्यकर्ताओं की नजर
- देर रात तक जारी था मंडल अध्यक्षों को लेकर मंथन
- एक एक जिले को लेकर हो रही बैठक, बुधवार को फिर हो सकती है बैठक
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्ष पदों को लेकर मंथन चल रहा है। यह मंथन देर शाम तक भी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चल रहा था। बुधवार को फिर बैठक होने की संभावना है। हालांकि कुछ जिलों के मंडल अध्यक्षों के नामों पर चर्चा पूर्ण हो चुकी है।
बता दें कि प्रदेश में अधिकांश क्षेत्रों के मंडल अध्यक्षों को लेकर बैठकें संपन्न हो चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बैठक के लिए मंगलवार का दिन निर्धारित किया गया था। इससे पहले यह बैठक 20 दिसंबर को एवं इसके बाद 22 दिसंबर को होनी थी। लेकिन दोनों की तारीखों को आगे बढ़ा दिया गया। अब मंगलवार को दिनभर भाजपा के प्रदेश कार्यालय में बैठकों का सिलसिला चलता रहा। सूत्रों के अनुसार हर जिले की अलग अलग बैठक हो रही है। इन बैठकों में जिलों के लिए नियुक्त किये गये पर्यवेक्षकों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत्येंद्र सिसौदिया एवं पश्चिम के कुछ महत्वपूर्ण पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
भाजपा सूत्र बताते हैं कि जो पैनल जिलों से पहुंचे है उनमें से नामों की छंटनी करना बैठक में मौजूद पदाधिकारियों के लिए कठिन कार्य रहा है। स्थिति यह रही है कि जो कार्यकर्ता उम्र सीमा पूरी कर चुके हैं उनके नाम भी पैनल में अनेक जिलों से भेजे गये हैं। इसके साथ ही कई नामों को लेकर जमकर खिंचतान भी हुई। इनमें जिलों में भेजे गये पर्यवेक्षक भी कई नामों पर अड़े रहे। इस स्थिति में कई जिलों में आवश्यकता से अधिक समय लगा है। यहीं कारण है कि देर शाम तक भी पैनलों को लेकर मंथन जारी रहा।
भाजपा सूत्रों की मानें तो करीब दस माह पूर्व जो मंडल अध्यक्ष बनाये गये थे यदि उनका काम ठीक है तो उन्हें दोबारा मौका दिया जा सकता है, लेकिन जो मंडल अध्यक्ष लापरवाह पाये गये उनका हटना तय है। इस मामले में जन प्रतिनिधियों की राय को भी महत्व दिया जा रहा है। जो लोग नये पार्टी में आये हैं उनके नामों की भी छंटनी करने की खबर है। पार्टी की मंशा पुराने और अनुभवी कार्यकर्ताओं को महत्व देने की है। सूत्र बताते हैं कि अब अगली बैठक 27 दिसंबर को होगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंति के कारण सभी नेता अगले दो दिन व्यस्त रहेंगे। हालांकि पूरे प्रदेश के मंडल अध्यक्ष पदों के दावेदारों की नजरें लखनऊ की तरफ लगी है, लेकिन दावेदारों को इंतजार करना होगा।