- उत्तर प्रदेश में गोसंरक्षण की दिशा में योगी सरकार का ऐतिहासिक प्रयासगोवंश के हित में गोचर भूमि का शत प्रतिशत उपयोग कर रही योगी सरकार
- 9 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फैली है 6708 टैग्ड गोचर भूमि
- गोवंश के पोषण को ध्यान में रखते हुए गोचर भूमि पर हरे चारे के उत्पादन पर सरकार का जोर
- गोचर भूमि के 60 प्रतिशित से अधिक क्षेत्रफल में सरकार कर रही हरे चारे का उत्पादन
- 81 प्रतिशत पर बरसीम और जई तथा 19 प्रतिशत भूमि पर नैपियर चारे की बुवाई
अथाह ब्यूरो लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गोसंरक्षण और गोपालन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में ला खड़ा किया है। प्रदेश में गोवंश संरक्षण और उनकी देखरेख के लिए व्यापक स्तर पर योजनाओं को लागू किया जा रहा है, जिनसे न केवल गोवंश का कल्याण हो रहा है बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। उत्तर प्रदेश में कुल 6708 ग्रामीण गो-आश्रय स्थल संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी स्थलों पर गोवंश की देखभाल के लिए 100% टैग्ड गोचर भूमि का उपयोग किया गया है, जो 9091.21 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई है। इस भूमि में हरित चारा उत्पादन को प्राथमिकता दी गई है, जिससे गोवंश के पोषण की समस्या को दूर किया जा सके।
हरित चारा उत्पादन में वृद्धिटैग्ड गोचर भूमि में से 5465.93 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर हरित चारा बोया गया है, जो कुल क्षेत्रफल का 60.12% है। इसमें, 1007.99 हेक्टेयर क्षेत्र में नेपियर घास की खेती की गई है, जबकि 4457.93 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर बरसीम और ज्वारी चारे का उत्पादन हुआ है। यह प्रयास गोवंश के लिए पौष्टिक आहार सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इन जिलों में सर्वाधिक गो-आश्रय स्थलप्रदेश में सर्वाधिक गो-आश्रय स्थल जनपद जालौन (396), हरदोई (357), हमीरपुर (319), बांदा (309) चित्रकूट (306), बदायूं (297) उन्नाव (291), महोबा (266) में हैं, जहां बड़े पैमाने पर हरे चारे का उत्पादन किया जा रहा है।
किसानों को दिया गया समर्थनयोगी सरकार ने किसानों को ज्वारी चारा बीज का वितरण करते हुए 7404.41 कुंतल बीज का आवंटन जिलों में किया है। साथ ही, 810.80 कुंतल प्रमाणित बरसीम चारा बीज भी प्रदान किया गया है। इन प्रयासों का उद्देश्य गो-आश्रय स्थलों को चारा उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बनाना और किसानों को चारे की खेती के लिए प्रेरित करना है।
जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावागोवंश आधारित जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को नेपियर रूट स्लिप्स (जड़ें) का भी वितरण किया जा रहा है। अब तक 35 लाख जड़ों का आवंटन किया जा चुका है। इससे न केवल जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
गोसंरक्षण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूतीयोगी सरकार के इन प्रयासों से न केवल गोवंश को संरक्षित करने में सफलता मिली है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी साबित हो रहा है। गो-आश्रय स्थलों से मिलने वाला गोबर और मूत्र जैविक खाद के रूप में उपयोग हो रहा है, जिससे किसानों को सस्ते और प्रभावी उर्वरक मिल रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार का प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और सतत विकास के लक्ष्य को भी साकार कर रहा है।