- गाजियाबाद विधानसभा उप चुनाव
- भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने गैस्ट हाऊस कांड की यादें ताज करा दिया संदेश
- भाजपा विरोधी तीनों प्रत्याशी दलित- मुस्लिमों पर कर रहे फोकस
अशोक ओझा
गाजियाबाद। गाजियाबाद शहर विधानसभा उप चुनाव में अब जबकि एक सप्ताह का समय भी शेष नहीं बचा है ऐसे में सभी प्रमुख दलों की नजर दलित- मुस्लिम मतदाताओं पर लगी है। यह मतदाता तीनों दलों में बंट सकते हैं, लेकिन भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने दलित मतदाओं को लखनऊ के गैस्ट हाऊस कांड की याद दिलाते हुए भाजपा के लिए भी इन मतदाताओं में सैंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा इन मतदातों को प्रभावित करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। यदि भाजपा दलित मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है तो वह पीडीए को तोड़ने में सफल हो जायेगी।
बता दें कि दलित मतदाता बसपा के उदय से पहले कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता था। लेकिन बसपा के उदय के साथ ही दलित मतदाता पूरी तरह से बसपा के साथ हो गये। मान्यवर कांशीराम एवं बसपा की वर्तमान अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दलित मतदाताओं के बल पर ही उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुकी हैं। इस दौरान बसपा और सपा के बीच दो बार समझौता भी हुआ। हालांकि सपा के लोग कहते हैं कि बसपा ने धोखा दिया और बसपा के लोग आरोप लगाते हैं कि सपा ने धोखा दिया।
इन सबके बीच धोखा चाहे किसी ने भी दिया हो, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा की ताकत विशालकाय उत्तर प्रदेश में घटी है। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव से बसपा का कोर वोटर कहा जाने वाले दलित मतदाता का झुकाव भी शनै शनै भाजपा की तरफ हुआ है। यहीं कारण है कि भाजपा ने दो बार केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। तीसरी बार दलित मतदाता भाजपा को कम मिला तो भाजपा की नहीं राजग की सरकार केंद्र में बनी। दलित मतदाताओं के भाजपा से दूर जाने के बाद से भाजपा नेतृत्व का पूरा प्रयास है कि यह बड़ा वोट बैंक किसी भी प्रकार फिर से भाजपा के पाले में आये।
दलित मतदाताओं के बीच भाजपा ने पैठ बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरूण का पूरा उपयोग कर रही है। असीम अरूण गाजियाबाद जिले के प्रभारी मंत्री भी है। वे अपने समाज में पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने अपने सभी चाहने वालों को संदेश भी दे दिया है, इसके साथ ही पिछले दिनों गाजियाबाद आगमन पर उन्होंने दलित समाज के प्रमुख लोगों के साथ बैठक भी की थी। भाजपा का प्रयास है कि 2014 से 2019 तक की स्थिति फिर वापस आ जाये।
इसके लिए भाजपा ने संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर के नाम से किये गये कामों का बखान भी शुरू किया है। इसमें कोई दोराय नहीं कि भाजपा के राज में दलितों के लाभ के लिए जहां अनेक योजनाओं का संचालन किया गया, वहीं बौद्ध धर्म के लिए भी काम किया गया। भाजपा ने महानगर में दो बार से लगातार दलित समाज के सुशील गौतम महामंत्री है। इससे पहले वे उपाध्यक्ष थे।
इन सबके बीच भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने दलित समाज को लखनऊ के गैस्ट हाऊस कांड की याद ताजा करवाकर सीधे हमला बोला है। वे यह भी कहते हैं कि उस समय भाजपा ने ही बहन मायावती को बचाने का काम किया था। संजीव शर्मा की मानें तो भाजपा की तरफ दलित मतदाताओं का झुकाव लगातार हो रहा है, वे कहते हैं कि दलित मतदाताओं का विभाजन बसपा और भाजपा के बीच ही होगा। दलित समाज भाजपा में ही अपना भविष्य देख रहा है। अब यह तो 23 नवंबर को ही पता चलेगा कि दलित मतदाताओं का झुकाव किस तरफ रहा।