Dainik Athah

कविता : रहें बीत पल जैसी भी है

कविता 
रहें बीत पल जैसी भी है,
 ऐसे भी है वैसे भी है।
कभी गुलाब कभी है कांटे
कभी काल के बनें है चाटे।
कभी कदम धरती के ऊपर
 और कभी ये बिल्कुल ऊसर।
इनके संग जीवन को चलना 
चाहे ये पल कैसे भी है,
रहें बीते पल जैसे भी है।
 ऐसे भी हैं वैसे भी है।।

सिंहासन के यही राजपथ ,
संघर्षों की यही हैं जनपथ।
कभी गुरु तो कभी शिष्य है 
कभी अमृत तो कभी विष है ।
कभी बनें ये दीया और बाती
 कभी शत्रु है कभी है साथी ।
यही परीक्षा यही अनुभव
 जैसे को यें तैसे भी है ,
रहें बीते पल जैसे भी हैं ।
ऐसे भी हैं वैसे भी हैं।।
पल

कवि : डा.प्रेम किशोर शर्मा निडर

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