Defence Acquisition Procedure: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल
अथाह ब्यूरो, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को दिल्ली में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure) -2020 के दस्तावेजों का अनावरण किया।
सिंह ने अनावरण से पहले नई दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय के साउथ ब्लॉक में एक बैठक बुलाई जिसमें चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया उपस्थित रहे।
Defence Acquisition Procedure अगले माह अक्टूबर की 1 तारीख से होगा लागू –
1 अक्टूबर से लागू हो रही इस नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure) के तहत भारत को सैन्य प्लेटफॉर्म का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने, रक्षा उपकरणों की खरीद में लगने वाले समय को कम करने तथा तीनों सेनाओं द्वारा एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति देने जैसी विशेषताएं हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘डीएपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के तहत तैयार किया गया है और इसमें भारत को अंतत: वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ की परियोजनाओं के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने का विचार किया गया है।’
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, नई नीति के तहत ऑफसेट दिशानिर्देशों में भी बदलाव किए गए हैं और संबंधित उपकरणों की जगह भारत में ही उत्पाद बनाने को तैयार बड़ी रक्षा उपकरण निर्माता कंपनियों को प्राथमिकता दी गई है।
रक्षा अधिग्रहण प्रोसेस के लागू होने के बाद भारतीय सेनाओं के लिए अब बेहद जरूरी चीजों की खरीद के लिए एक समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। ऐसे में अब आने वाले समय में सेनाओं द्वारा होने वाले रक्षा सौदों में देरी होने की संभावना कम है। नई रक्षा खरीद नीति के तहत आने वाले पांच सालों के भीतर भारतीय सेनाएं 2290 करोड़ रुपये उपयोग करेंगी।
बैठक में डीएसी की ओर से सेना के लिए 72 हजार अतिरिक्त अमेरिकी सिंगसॉर असॉल्ट राइफल खरीदने को मंजूरी मिल गई जो लेटेस्ट असॉल्ट राइफल हैं, जिनकी खरीद पर लगभग 780 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।