Dainik Athah

संघ के कमान संभालने के साथ ही बदलने लगा था हरियाणा चुनाव का गणित

  • जाट और गैर जाट की रणनीति के साथ ही हुड्डा की एकला चलो नीति ने पहुंचाया भाजपा को लाभ
  • यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान बंटोगे तो कटोगे ने निभाई चुनाव में बड़ी भूमिका
  • मतदान के दिन हिंदूत्व पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान भी रहा कारगर

अशोक ओझा
नयी दिल्ली।
हरियाणा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे ही लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने में सफलता प्राप्त नहीं की। इसके पीछे जाट- गैर फार्मूले के साथ ही कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की एकला चलो की रणनीति और साथ ही संघ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के कमान संभालने तथा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान बंटोगे तो कटोगे ने बड़ी भूमिका निभाई है।
हरियाणा में पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में प्रचार शुरू होने के साथ ही सट्टा बाजार एवं शेयर बाजारों में यह हवा बहने लगी थी कि इस बार कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। सभी सर्वे में भाजपा को जीत के आंकड़े से बहुत पीछे दिखाया जा रहा था। लेकिन जब परिणाम घोषित हुए तो नतीजे ठीक लोकसभा चुनाव की तरह से उलट नजर आये। भाजपा आला कमान चाहे इस जीत पर इतरा रहा हो, लेकिन हकीकत में इस जीत के पीछे कई कारण रहे।

जाट- गैर जाट का फार्मूला
भाजपा ने पिछले चुनावों की तरह से इस बार भी जाट- गैर जाट फार्मूले के आधार पर टिकटों का बंटवारा किया। इसका लाभ पूरी तरह से भाजपा को मिला। भाजपा के साथ रहे पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पांचवे स्थान पर रहने से इस निर्णय पर मुहर लगती है। इसके साथ ही भाजपा के कई कद्दावर जाट प्रत्याशियों को भी मतदाताओं ने धूल चटा दी। इससे साबित होता है कि यह फार्मूला कारगर रहा।

15 दिन पहले आरएसएस ने संभाली कमान
लोकसभा चुनाव में शांत रहा राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ इस चुनाव के शुरूआती दिनों में इंतजार करो की रणनीति अपनाये हुए था। लेकिन जब संघ के रणनीतिकारों ने देखा कि भाजपा यहां पर चुनाव से बाहर होती जा रही है तब संघ ने मतदान से 15 दिन पहले कमान अपने हाथों में ले ली। संघ के बड़े पदाधिकारी जहां रणनीति बना रहे थे, वहीं नीचे वाले एवं स्वयं सेवक रणनीति को अमलीजामा पहना रहे थे। संघ ने घर घर दस्तक देने का अभियान चलाया। जहां कहीं भाजपा को बूथ एजेंट तक नहीं मिल रहे थे वहां पर संघ ने बूथ तक प्रबंधन संभाला। इसके बाद वहीं होना था जिसकी उम्मीद थी भाजपा ने किला फतेह कर लिया। संघ की इस चुनाव में एक बार फिर बड़ी भूमिका दिखाई दी।

बंटोगे तो कटोगे
इस चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान बंटोगे तो कटोगे ने बड़ी भूमिका निभाई। योगी के बयानों के बाद हिंदू मतदाता एक बार फिर जागरूक हुआ तथा उसने बूथ पर पहुंचते पहुंचते अपना मन बदल लिया। भिवानी के अमित शर्मा कहते हैं कि हम भाजपा को वोट नहीं देना चाहते थे, लेकिन योगी के भाषण सुनने के बाद हमारा मन बदल गया। इसके साथ ही जिस प्रकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बात का असर मतदाताओं पर होता है वह भी काबिले तारीफ है। इतना ही नहीं मतदान के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्टÑ से हिंदुत्व को लेकर जिस प्रकार बयान दिया वह भी कारगर रहा।

हुड्डा की एकला चलो की रणनीति ने डुबोया कांग्रेस को
राजनीति के जानकारों का मानना है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की एकला चलो की रणनीति जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को सबसे अधिक टिकट दिलवाये उससे भी मतदाताओं में निराशा के भाव जागृत हुए। इससे कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आई। राहुल गांधी के शैलजा और हुड्डा के हाथ मिलवाने का भी असर न के बराबर हुआ।


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