जिलों में तैनात ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध यदि
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन (ग्राम्य विकास विभाग) ने समस्त मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिलों में तैनात ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध यदि किसी प्रकार की अनुशासनिक कार्यवाही की आवश्यकता आपके स्तर पाई जाती है, तो उसके बारे में अपने प्रस्ताव भेजने हेतु निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाना सुनिश्चित करें।
अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास द्वारा जारी दिशा निदेर्शों में कहा गया है कि उनके संज्ञान में प्राय: यह देखने में आ रहा है कि जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों यथा मण्डलायुक्त/जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मण्डल मुख्यालयों के जिलों व अन्य जिलों में तैनात ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरूद्ध निलम्बन/अनुशासनिक कार्यवाही किए जाने के प्रस्तावों पर अपनी संस्तुति सीधे ही शासन को प्रेषित कर दी जाती है। ऐसे पत्रों के साथ प्राय: सुस्पष्ट आरोप पत्र, समुचित साक्ष्य एवं साक्षियों की सूची भी नहीं भेजी जाती है।
निर्देशों में कहा है कि उपरोक्त स्थिति प्रशासनिक अनुशासन के अनुकूल नहीं है। जिलों में तैनात ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रथम नियंत्रक अधिकारी उनके विभागाध्यक्ष अर्थात आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग हैं। अत: जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने प्रस्ताव (जो समस्त अभिलेखों से पूर्ण हों) सीधे शासन को न भेजकर आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग को भेजे जाएं, ताकि आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग इन प्रस्तावों का समुचित परीक्षण अपने स्तर पर कर सकें और अपने अभिमत सहित यथावश्यकता कार्यवाही हेतु पूर्ण प्रस्ताव शासन को उपलब्ध करा सकें।