मंथन- लगता है कि गाजियाबाद जिले को किसी की नजर लग गई है। यहीं कारण है कि जिले में अपराधों की ऐसी बाढ़ सी आ गई है। प्रदेश की भाजपा सरकार एवं सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमिकता अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई रही है।
लेकिन इसका असर पूर्वांचल में नजर भी आ रहा है। पूर्वांचल में जिस प्रकार माफिया अतीक एवं मुख्तार अंसारी व उनके गुर्गों के खिलाफ जिस प्रकार कार्रवाई की जा रही है वह एक मिसाल बन रही है।
लेकिन दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं खासकर गाजियाबाद को देखा जाये तो आये दिन यहां पर लूट, डकैती, चोरी एवं हत्या की घटनाएं हो रही है। जिले की पुलिस का हाल यह है कि वह घटनाओं को छुपाने में कीर्तिमान स्थापित करना चाह रही है।
मंगलवार-बुधवार की रात में जिस प्रकार शहर की पॉश कालोनी अवंतिका में बदमाशों ने परिवार को बंधक बनाकर लाखों की डकैती (पुलिस इसे लूट बता रही है) की घटना को अंजाम दिया एवं महिलाओं के साथ अभद्रता की इससे पता चलता है कि बदमाशों के हौंसले कितने बुलंद है।
जिस प्रकार एक महिला आईपीएस को मौके पर बुलाया गया वह भी यह बता रहा है कि घटना कितनी गंभीर है। उधर पुलिस का रवैया ऐसा है कि घंटों तक मीडिया वालों को घर के अंदर नहीं जाने दिया गया। जब मीडिया वाले घर के अंदर गये तब तक पुलिस पीड़ित परिवार को यह समझाने में कामयाब हो चुकी थी कि मीडिया वालों के सामने मुंह नहीं खोलना।
इससे पूर्व चिरंजीव विहार में भी परिवार को बंधक बनाकर डकैती की घटना हुई थी। पुलिस ने घटना का खुलासा तो किया, लेकिन परिवार ने खुलासे का उसी दिन विरोध कर दिया था। पुलिस को चाहिये कि वह मीडिया को रोकने के स्थान पर अपराधों को रोके व उनके खिलाफ कार्रवाई करें। मीडिया को रोकने से काम चलने वाला नहीं है।