मंथन: गाजियाबाद के नंदग्राम में भूमाफियाओं ने प्लाटिंग कर नगर निगम की जमीन बेच दी। जिले में बड़ी संख्या में ऐसे लोग है जिन्हें सिर ढ़कने को छत चाहिये। ये गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोग महंगी अट्टालिकाओं में फ्लैट नहीं खरीद सकते।
इन लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं होता कि ये जीडीए से प्लाट ले सकें। सिर छुपाने के लिए ये लोग भूमाफियाओं के जाल में फंस जाते हैं। इन बेचारों को क्या पता कि जिस जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम की जा रही है वह जमीन सरकारी है।
कभी भी जीडीए अथवा नगर निगम के बुलडोजर इनकी जीवन भर की कमाई को जमींदोज करने के लिए आ धमकेंगे। कुछ ऐसा ही नंदग्राम में हुआ। यहां पर भी भूमाफियाओं ने प्लाटिंग कर ऐसे ही लोगों को प्लाट बेच दिये। जिन्होंने प्लाट खरीदे उन्होंने थोड़े थोड़े पैसे बचाकर जैसे तैसे आशियाना खड़ा किया।
अब सरकार को विधायकों के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनाना है तो इन मकानों को नगर निगम ने तोड़ना शुरू कर दिया। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जब सरकारी जमीन पर प्लाटिंग हो रही थी उस समय जीडीए के इंजीनियर व नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी अपनी जेब गर्म करके चैन की नींद सो रहे थे।
प्रदेश सरकार भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त है। ऐसे में भू माफियाओं के साथ ही उस समय तैनात रहे अफसरों व इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये। यदि इस बार दोषी बच गये तो प्रदेश सरकार के दामन पर भी धब्बा अवश्य लग जायेगा। कार्रवाई होने पर भूमाफियाओं व सरकारी अफसरों को कड़ा संदेश भी मिल जायेगा।