Dainik Athah

गाजियाबाद नगर निगम का होगा विस्तार, लोनी- खोड़ा नगर पालिका हो सकती है शामिल

  • जनप्रतिनिधियों की मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक के बाद चर्चा
  • डासना नगर पंचायत को भी नगर निगम में समाहित करने का मुद्दा भी उठा

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
क्या आने वाले समय में गाजियाबाद नगर निगम का विस्तार होगा। नगर निगम में लोनी एवं खोड़ा नगर पालिकाओं को समाहित किया जायेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ जन प्रतिनिधियों की बैठक में यह मुद्दा उठने के बाद बोतल में बंद जिन्न के एक बार फिर आने के कयास लगाये जा रहे हैं।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव से पूर्व नगर विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि लोनी एवं खोड़ा नगर पालिका परिषदों को गाजियाबाद नगर निगम में शामिल कर वृहत नगर निगम बनाने की योजना तैयार करने के निर्देश दिये थे। लेकिन बाद में यह सोचते हुए कि कहीं लोकसभा चुनाव इससे प्रभावित न हो मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव तक मामले को ठंडे बस्ते में डालने के निर्देश दिये थे। हालांकि उनके निर्देश के बाद नगर विकास विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी और गाजियाबाद नगर निगम के साथ ही लोनी नगर पालिका ने प्रस्ताव भी तैयार कर शासन को भेज दिया था।
सूत्रों के अनुसार सोमवार को कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, सांसद अतुल गर्ग, विधायक अजीत पाल त्यागी, नंद किशोर गुर्जर एवं धर्मेश तोमर ने जब मुख्यमंत्री से मुलाकात की तो गाजियाबाद नगर निगम के साथ ही लोनी एवं खोड़ा नगर पालिकाओं को लेकर भी चर्चा हुई। नंद किशोर गुर्जर एवं सुनील शर्मा ने दोनों नगर पालिकाओं की कमियां मुख्यमंत्री के समक्ष बयां की। इस पर मुख्यमंत्री ने भी दोनों नगर पालिकाओं को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। बता दें कि दोनों नगर पालिकाओं में विधायकों के विरोधी चेयरमैन है।
इसके साथ ही विधायकों ने लोनी एवं खोड़ा नगर पालिकाओं को गाजियाबाद नगर निगम में समाहित करने का मुद्दा फिर से उठा दिया। इसी दौरान विधायक धर्मेश तोमर ने भी डासना नगर पंचायत का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे भी नगर निगम में शामिल किया जाये। इस पर मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि वे फिर से इस मामले में प्रस्ताव तैयार करने के लिए नगर विकास विभाग से कहेंगे, यदि कोई समस्या आयेगी तो उसे दूर करवाया जायेगा। सूत्रों का मानना है कि भाजपा के जिन जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की वे एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। एक तरफ नगर पालिकाओं के चेयरमैन और दूसरी तरफ महापौर को किनारे करना चाहते हैं। अब मुख्यमंत्री क्या निर्देश देते हैं इसके ऊपर सभी की नजरें लगी है।


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