अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली। बिहार के सहरसा जिले के बनगाँव ग्राम में 2 फरवरी 1997 को एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुईं लक्ष्मी झा अब किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वह पर्वतारोहण की दुनिया में जाना पहचाना नाम हो गई हैं। उन्होंने अनेक अवसरों पर न सिर्फ अपना बल्कि देश का गौरव बढ़ाया है। लक्ष्मी झा के सपनों को पंख तब लगे जब 2019 में किसी परिचित के माध्यम से उनकी मुलाकात राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ आरके सिन्हा से हुई।
लक्ष्मी झा की इच्छा बचपन से ही पर्वतारोहण के क्षेत्र में करियर बनाने की थी लेकिन अथार्भाव के कारण वह अपनी इच्छा को दबाये बैठी थीं। डॉ सिन्हा अपने कई कारोबार के अलावा अवसर ट्रस्ट भी चलाते हैं जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई के अलावा उनके रहने खाने आदि की मुफ्त व्यवस्था रहती है। डॉ सिन्हा ने लक्ष्मी के सपनों को पंख दिया। उन्होंने उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट से लक्ष्मी के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराई और उसका सारा खर्च उठाया। उसी साल सोलो बेस कैम्प पर तिरंगा झंडा फहराकर लक्ष्मी ने अपने हिम्मत और हौसले का लोहा मनवा लिया। ऐसा करनेवाली वह बिहार की पहली पर्वतारोही बनीं। नतीजतन उन्हें विद्यापति पर्व समारोह के दौरान मिथिला के सबसे बड़े साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ सिन्हा की प्रेरणा से लक्ष्मी झा ने वर्ष 2023 में दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी क्लिम अंजारो महिलाओं में सबसे कम समय 41 घंटा में पहुँचने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। उसी साल तुर्की की सबसे ऊँची चोटी अरारत पहुँचने वाली भारत की पहली पर्वतारोही बनीं। साल 2023 में ही लद्दाख की मेन्टोक चोटी पर लक्ष्मी ने तिरंगा फहराया।
लक्ष्मी के इस प्रयास में हर बार आरके सिन्हा ने न सिर्फ आर्थिक मदद दी बल्कि हर तरह से सहयोग किया। लक्ष्मी अपनी कामयाबी का श्रेय डॉ आरके सिन्हा को देती हैं। वह कहती हैं कि जिस ईश्वर ने बचपन में उनके सिर से पिता का साया हटा लिया था। अब वही ईश्वर इसके लिए सिन्हा जी को भेज दिया है।
लक्ष्मी गुरुवार चार जुलाई को मलेशिया जा रही हैं। वह वहाँ माउंट किनाबालु बोर्नियो और मलेशिया के सबसे ऊँचे पर्वत पर चढ़ाई करेंगी। 4,095 मीटर (13,435 फीट) की ऊँचाई के साथ, यह पृथ्वी पर एक द्वीप की तीसरी सबसे ऊँची चोटी, दक्षिण पूर्व एशिया की 28वीं सबसे ऊँची चोटी और दुनिया का 20वां सबसे प्रमुख पर्वत है। ऐसा करनेवाली वह भारत की पहली पर्वतारोही हैं। उनकी इस यात्रा की सारी व्यवस्था हर बार की तरह आरके सिन्हा कर रहे हैं।
बुधवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में डॉ सिन्हा ने कहा कि समाज की दबी ढकी प्रतिभाओं को आगे लाने में उन्हें आत्मिक सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि समाज का दिया लौटाना हम सभी का दायित्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अवसर ट्रस्ट आगे भी प्रतिभाओं की मदद जारी रखेगा।
संवाददाता सम्मेलन में डॉ आरके सिन्हा के अलावा ख्यातनाम पर्वतारोही अनिता कुंडू, लक्ष्मी झा, अवसर ट्रस्ट के सीईओ अनुरंजन श्रीवास्तव और वरिष्ठ पत्रकार राधा रमण मौजूद थे।