- मुलाकात के बाद आखिर क्यों सील लिए विधायकों ने मुंह
- मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद क्या कोई मिल गया विधायकों को संकेत
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद के जन प्रतिनिधियों की पुलिस कमिश्नर से खिंची तलवारें क्या म्यान में चली गई या फिर मुख्यमंत्री ने भरोसा देने के साथ चुप रहने को कह दिया है। लखनऊ जाने के बाद से सबसे ज्यादा बोलने वाले और रोज पत्र लिखने वाले विधायक जी भी इतना कह कर चुप हो जाते हैं कि सब अच्छा होगा।
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले गाजियाबाद के दो विधायक सुरक्षा विहीन हो गये थे। लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर एवं मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी के पास कोई सुरक्षाकर्मी नहीं थे, लेकिन गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस का दावा था कि इनके पास सुरक्षा है। इस मामले में जिले के सभी जन प्रतिनिधियों की बैठक भी कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा के निवास पर हुई थी जिसमें सांसद अतुल गर्ग भी उपस्थित थे। इसके बाद लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर रोजाना ही पुलिस के खिलाफ पत्र लिख रहे थे। उनके हर पत्र में नये आरोप होते थे।
पिछले दिनों विधायक लखनऊ गये। लखनऊ में नंद किशोर गुर्जर एवं अजीत पाल त्यागी की मुलाकात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं ब्रजेश पाठक से भी हुई। माना जा रहा है कि वहां पर भी पुलिस के रवैये को लेकर बात हुई। लेकिन गुरुवार को दोनों विधायक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई। सूत्रों की मानें तो दोनों विधायकों की मुख्यमंत्री से लंबी बात हुई। लेकिन मुख्यमंत्री से क्या बात हुई और क्या आश्वासन मिला इसको लेकर नंद किशोर गुर्जर चुप्पी साधे हैं। इस पूरे प्रकरण में अजीत पाल पहले से चुप्पी साधे थे, लेकिन अब तो नंद किशोर भी उनकी राह पर ही चल दिये हैं। नंद किशोर गुर्जर कहते हैं मुख्यमंत्री से मुलाकात बहुत अच्छी हुई। इसके आगे कुरेदने पर कहते हैं सब अच्छा होगा। इसके बाद वे कोई बात करने को तैयार नहीं होते।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने विधायकों की बातें ठीक से सुनने के बाद कोई भरोसा भी दिया है। इतना ही नहीं शायद बाबा पत्र लेखन से नाराज भी हो। यह भी संभव है कि उन्होंने कह दिया हो कि चुपचाप बैठो सभी काम हो जायेंगे, बवाल मत करो। शायद यहीं कारण है कि सबसे ज्यादा बोलने वाले भी इस समय चुप है। यह चुप्पी रहस्यमयी भी लगती है। विधायकों की चुप्पी से पुलिस महकमे में चिंता देखी जा सकती है, वहीं प्रशासन भी यह पता करने में लगा है कि आखिर मुख्यमंत्री से क्या बातें हुई।
जिस प्रकार की चुप्पी इस बार है कुछ वैसी ही चुप्पी विधानसभा में हुए हंगामे के बाद भी थी। बहरहाल आगे क्या होगा यह तो बाबा अर्थात मुख्यमंत्री ही जानते हैं, लेकिन लगता है कि कुछ तो होगा, बस इंतजार ही हो सकता है।