Dainik Athah

मंथन: ‘जीत’ कर भी ‘हार’ गई भाजपा

  • चुनाव को लेकर टीवी चैनलों के एक्जिट पोल हुए धराशायी
  • भाजपा को यूपी के साथ ही बंगाल, राजस्थान, महाराष्टÑ में सबसे बड़ा नुकसान

अशोक ओझा
जिस समय यह लिखा जा रहा है उस समय 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्टÑीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘राजग’ को 289 सीटें आती नजर आ रही है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिलती नजर आ रही है। यह परिणाम अप्रत्याशित है। हालांकि अप्रत्याशित नहीं कहा जाना चाहिये। यह उम्मीद पहले ही मैंने जता दी थी कि भाजपा अकेले दम 272 का आंकड़ा नहीं छूने जा रही। हां इतना भी था कि सरकार राजग की बनेगी। लेकिन अप्रत्याशित इस मायने में कि यूपी में भाजपा गठबंधन 36 सीटोें पर ही सिमट जायेगा यह उम्मीद नहीं थी। यूपी में भाजपा गठबंधन की इतनी कम सीटें आना एक झटका है। अब बात चल रही है राजग सरकार बनने की और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि तीसरी बार सरकार बन रही है। लेकिन इसी बीच जदयू के नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की तो उनके संबंध में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।

हालांकि जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद केसी त्यागी ने कहा है कि जदयू राजग के साथ रहेगा, लेकिन नितीश कुमार कब क्या निर्णय ले कुछ कहा नहीं जा सकता। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में चंद्र बाबू नायडू क्या करते हैं इसको लेकर भी अगले दो दिन में स्थिति स्पष्ट होगी। भाजपा को अपने सहयोगी दलों को साधे रखना होगा। इसका कारण यह है कि राजग के सहयोगी दलों पर इंडिया गठबंधन की भी नजरें लगी है। यदि चुनाव का विश्लेषण करेंऔर देखा जाये तो पश्चिमी बंगाल में भी भाजपा को नुकसान हुआ है उसकी उम्मीद भी न के बराबर थी। यहां पर भाजपा को पहले से अधिक सीटें मिलने की उम्मीद थी। ओड़िशा में भाजपा ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है यह भी अप्रत्याशित है। यह कहा जा रहा था कि भाजपा इस बार दक्षिण में कमल खिलायेगी, लेकिन तमिलनाडु में मात्र एक सीट से भाजपा को संतोष करना पड़ रहा है। सातवें और अंतिम चरण के बाद जिस प्रकार एक्जिट पोल में भाजपा और राजग को प्रचंड बहुमत दिखाया गया था वह सभी एक्जिट पोल धराशायी हो गये। इतना ही नहीं टीवी चैनलों की विश्वसनीयता भी इससे कम हुई है। भाजपा को जिस प्रकार उम्मीद से कम सीटें मिली है उसे देखते हुए यहीं कहा जा सकता है कि भाजपा ‘जीत’ कर भी ‘हार’ गई।

जीत इस मायने में कि भाजपा चुनाव में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनकर एक बार फिर उभरा है तथा राजग को चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिला है। हार इस मायने में कि भाजपा अपने दम पर 272 का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई है। जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में ताबड़तोड़ रैलियां और रोड शो किये उसे देखते हुए यह झटका माना जा सकता है। इसके साथ ही मुख्य बात यह है कि भाजपा ने उस अयोध्या सीट को गंवा दिया जहां पर देश के सम्मान के प्रतीक राम मंदिर की स्थापना की गई। भाजपा को उस राजस्थान में करारी हार का सामना करना पड़ा जहां पर कुछ माह पहले ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई गई। राजस्थान ने भी भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। कहा जाये तो यूपी और राजस्थान एक ही राह पर चल दिये। भाजपा को इन चुनाव परिणामों को लेकर अब मंथन करना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। कहां गलती हुई। मेरे से पूछा जाये तो बेरोजगारी के साथ ही मध्यम वर्ग की उपेक्षा का भाजपा को नुकसान हुआ है। यदि बात इंडिया गठबंधन की हो तो निश्चित ही कांग्रेस, सपा के साथ ही महाराष्टÑ एवं पश्चिमी बंगाल में इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया है। सपा- कांग्रेस गठबंधन ने जिस प्रकार मजबूती दिखाई है वह आने वाले समय में भाजपा के लिए चुनौती होगा।


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