Dainik Athah

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को शत प्रतिशत लागू कर रोल मॉडल बनें : सीएम योगी

  • परिसर संस्कृति को समृद्ध कर नवाचार पर रहे सतत ध्यान : सीएम योगी
  • महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की सभी संस्थाओं की वार्षिक समीक्षा कर भावी कार्ययोजना तय की गोरक्षपीठाधीश्वर ने
  • शिक्षा संस्थान विद्यार्थी केंद्रित और चिकित्सा संस्थान मरीज केंद्रित कार्य पद्धति को आगे बढ़ाएं
  • हर संस्थान की उपादेयता तभी महत्वपूर्ण जब वह सामाजिक सहभाग में निरंतर सक्रिय रहे

अथाह संवाददाता
गोरखपुर।
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की शैक्षिक व चिकित्सकीय समेत सभी संस्थाओं ने हमेशा अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए समाज और राष्ट्र के हित में अपनी उपयोगिता प्रमाणित की है। इस उत्कृष्टता को आगे बढ़ाते हुए, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए सभी संस्थाएं परिसर संस्कृति को समृद्ध करने और निरंतर नवाचार पर ध्यान देने की तरफ अग्रसर हों। इस शिक्षा परिषद की संस्थाओं ने सामाजिक सहभाग को भी अपने ध्येय का हिस्सा बनाया है और इसे भविष्य में इसका दायरा और विस्तृत करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंगीकार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। अब जरूरत है कि हमारी संस्थाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को शत प्रतिशत अपनाकर अन्य संस्थाओं के लिए रोल मॉडल बनें।

सीएम योगी रविवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की सभी संस्थाओं की वार्षिक समीक्षा और भावी कार्ययोजना को लेकर बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने एक-एक कर सभी संस्थाओं के प्रमुखों से उनकी सालभर की गतिविधियों और उपलब्धियों की जानकारी ली और आगामी कार्ययोजना को लेकर उनके लक्ष्यों पर अपने सुझाव दिए। संस्थाओं की तरफ से वार्षिक समीक्षा और भावी कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण पावर प्वाइंट (पीपीटी) डिस्प्ले के जरिये किया गया।
बैठक में मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं की गतिविधियों की सराहना की और भावी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद सिर्फ स्कूल, कॉलेज या अस्पताल खोलने वाली संस्था नहीं है। बल्कि इसका ध्येय शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं के माध्यम से समाज और राष्ट्र के सामाजिक विकास में योगदान देना है। इस परिषद की नींव ही इसी भावना के साथ राष्ट्रीयता की भावना का पोषण करने के लिए, राष्ट्र हित में सुयोग्य नागरिक तैयार करने के लिए रखी गई। परिस्थितियां अनुकूल रही हों, या प्रतिकूल, परिषद इस समग्र लक्ष्य से कभी भी विचलित नहीं हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं में अनुशासित परिसर संस्कृति को सदैव प्राथमिकता पर रखा है। परिषद की संस्थाओं ने इस मामले में अनुकरणीय प्रयास किया है। परिसर में अनुशासन की भावना के साथ, स्वच्छता, हरियाली और सबका सबके प्रति सद्भाव रहे, इसका नियमित पर्यवेक्षण करना सभी संस्थाध्यक्षों की जिम्मेदारी है। उन्होंने शिक्षा संस्थाओं में पठन-पाठन और चिकित्सा संस्थाओं में उपलब्ध सुविधाओं की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कोताही न बतरने के निर्देश भी दिए। साथ ही कहा कि समय के साथ और चलने और आगामी समय से तालमेल बैठाने के लिए शोध और नवाचार आज की मांग है। शिक्षा परिषद की संस्थाओं ने शोध और नवाचार को लेकर जो प्रयास किए हैं, वे सराहनीय हैं। शोध और नवाचार को लेकर सतत ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा परिषद की संस्थाओं की सामाजिक सहभाग की भी समीक्षा की। यह जाना कि सालभर में किस संस्था ने समाज के बीच जाकर किस तरह अपने सामाजिक सरोकारों को निभाया। उन्होंने कहा कि हर संस्था की जिम्मेदारी बनती है कि वह समाज की उन्नति के लिए, लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए अपने दायरे को बढ़ाए। सीएम ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि परिषद की संस्थाओं ने लगातार अलग-अलग आयामों से जुड़कर समाज की चिकित्सा, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वावलंबन के लिए अनवरत कार्यों की श्रृंखला को बनाए रखा है।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं की कार्यपद्धति पर भी विमर्श किया। सभी संस्थाओं की कार्यपद्धति की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता में भी परिमार्जन की गुंजाइश हमेशा रहती है। सीएम ने कहा कि शिक्षा से जुड़ी संस्थाएं विद्यार्थी केंद्रित और चिकित्सा सेवा से जुड़ी संस्थाएं मरीज केंद्रित कार्य प्रणाली का निरंतर उन्नयन करती रहें। जो भी कार्य हों, उनमें सेवा की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए।

शताब्दी वर्ष को भव्य और ऐतिहासिक बनाने की अभी से शुरू करें तैयारी : सीएम योगी
समीक्षा और भावी कार्ययोजना को लेकर आहुत इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 को भव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए अभी से तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना 1932 में पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय मूल्यों के संरक्षण को लेकर की गई थी। यह परिषद अपने संस्थापक युगपुरुष ब्राह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और विस्तारक राष्ट्रसंत ब्राह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के मूल्यों, आदर्शों को संजोते हुए निरंतर प्रगतिमान है। आठ साल बाद यह अपनी यात्रा के शताब्दी वर्ष में होगी। शताब्दी वर्ष तक हमें परिषद की संस्थाओं को एक प्रतिमान के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए सभी संस्थाओं के प्रमुख को एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार करके अभी से जुट जाना होगा।

महायोगी गोरखनाथ विवि परिसर का सघन निरीक्षण किया सीएम योगी ने
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय परिसर का सघन निरीक्षण किया और अवस्थापना के साथ अन्य सुविधाओं को लेकर जरूरी दिशानिर्देश भी दिए। उन्होंने परिसर में बन रहे मेडिकल कॉलेज को गुणवत्तापूर्ण बनाने तथा भवन को भारतीय संस्कृति के प्रतिरूप में दशार्ने की बात कही। सीएम ने परिसर में आडिटोरियम, स्टेडियम, फामेर्सी कालेज आदि का भी सघन निरीक्षण किया।

एमपी इंटर कॉलेज में निर्माण कार्यों का जायजा लिया मुख्यमंत्री ने
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की समीक्षा बैठक करने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोलघर स्थित महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज में नई बिल्डिंग के निर्माण कार्यों का भी जायजा लिया। अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त नया भवन चार तल का बन रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में विरासत के संरक्षण तथा गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए।


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