- महापौर सुनीता दयाल ने बयान जारी कर दी चेतावनी
- महापौर ने कहा पार्षद को जेल भेजने के मामले में एक जून तक चुनाव खत्म होने का इंतजार
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। लगता है कि अंतिम एवं सातवें चरण का मतदान समाप्त होने के अर्थात एक जून के बाद पुलिस व भाजपा नेता खासकर महापौर आमने- सामने होंगे। इसकी घोषणा भी महापौर सुनीता दयाल ने कर दी है। वहीं, दूसरी तरफ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
महापौर सुनीता दयाल ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि प्रदेश सरकार के 2022 के शासनादेश के अनुसार नगर सीमा के अंतर्गत यातायात में बाधित बन रहे बस, टैंपू, टैक्सी स्टैंड व अवैध स्टैंड एवं स्ट्रीट वेंडर को हटाने का दायित्व नगर निगम एवं पुलिस प्रशासन का है, लेकिन कई स्थानों पर स्थानीय पुलिस ऐसे अवैध कार्य के प्रति उदासीन रहती है। उन्होंने कहा वार्ड 28 के पार्षद सुधीर कुमार शिक्षित इंजीनियर है, जोकि 45 हजार जनसंख्या का का प्रतिनिधित्व करते हैं। पार्षद के विरुद्ध कोई आपराधिक इतिहास नही है। उपरोक्त स्थल पर अवैध कार्य हो रहा था। ऐसे में एक चुने हुए प्रतिनिधि का किसी अवैध व अनैतिक कार्य करने को मना करना उसका दायित्व ही नहीं उसका अधिकार भी है। उन्होंने कहा ऐसे में पुलिस द्वारा एक तरफा कार्यवाही करना एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का यह कहना कि वह पार्षद गुंडा है और सात वर्षों से पहले बाहर नही आ सकता न्यायोचित नहीं है। पुलिस अधिकारी न्यायधीश नहीं हैं आपका कार्य केवल विवेचना करना है और विवेचना में पीड़ित के द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य की अनदेखी करने पूर्णत पक्षपात है।
सुनीता दयाल ने कहा शहर की महापौर द्वारा विवेचना करने की मांग को अस्वीकार करना तथा प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा के हस्तक्षेप के बाद भी कोई न्यायपूर्ण कार्यवाही न करना लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने इसके साथ ही कहा देश मे एक जून तक चुनाव हैं जिसके खत्म होने का इंतजार है!
जिस प्रकार महापौर इस मामले में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा को जोड़ रही है उससे क्या वे यह बताना चाहती है कि विधायकों से उनकी बात हो गई है। जिस प्रकार का बयान महापौर ने जारी किया है उससे यहीं संकेत मिलते हैं कि एक जून के बाद भाजपा और पुलिस के बीच पाला खिंचने वाला है।
सूत्रों के अनुसार दूसरी तरफ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। लेकिन रणनीति को गुप्त रखा जा रहा है।