आरआरटीएस स्टेशनों, डिपो और रिसीविंग स्टेशनों पर लगे सोलर प्लांट से हो रहा 2.21 एमडब्ल्यूपी सौर ऊर्जा का उत्पादन, सालाना 2300 टन सीओ2 उत्सर्जन में आएगी कमी
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। एनसीआरटीसी ने भारत के पहले दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर सौर ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को अपनाया है, जिसे अपनाने से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण प्रगति हलिस की है। इस प्रक्रिया में एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस स्टेशनों, डिपो और रिसीविंग सबस्टेशनों की छतों पर सौर पैनल स्थापित करके एनसीआरटीसी ने इन्हें अपने स्वच्छ और सतत ऊर्जा के केंद्रों के रूप में तैयार कर दिया है। वर्तमान में आरआरटीएस कॉरिडोर के संचालित खंड से 2.21 मेगावाट पीक इन-हाउस सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है और इससे सालाना 2300 टन से अधिक कार्बन डाइआॅक्साइड उत्सर्जन में कमी लाने के लिए योगदान हो रहा है।
वर्तमान में आरआरटीएस के संचालित सेक्शन के गुलधर, साहिबाबाद और दुहाई डिपो आरआरटीएस स्टेशनों पर सौर ऊर्जा प्लांट सक्रिय हैं, जिनमें गुलधर और साहिबाबाद पर अधिकतम बिजली उत्पादन क्षमता 729 किलोवाट (केडब्ल्यूपी) है, जबकि दुहाई डिपो स्टेशन 108 किलोवाट की क्षमता है। इसके साथ ही दुहाई डिपो 585 किलोवाट की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, 43 किलोवाट की क्षमता वाला मुरादनगर रिसीविंग सब स्टेशन (आरएसएस) और 20 किलोवाट की क्षमता वाला गाजियाबाद आरएसएस भी सौर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। आरआरटीएस के अन्य स्टेशनों पर भी सोलर प्लांट की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
एनसीआरटीसी, सौर ऊर्जा को अपनाते हुए पारंपरिक जीवाश्म ईंधन-आधारित विद्युत उत्पन्न करने के तरीकों को स्वच्छ और हरित सौर ऊर्जा में परिवर्तित करने में योगदान दे रही है, जिससे सस्टेनेबल एनर्जी और परिचालन दक्षता को अनुकूलित करते हुए एनसीआरटीसी अपने कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के व्यापक दृष्टिकोण के साथ सहजता से प्रगति कर रही है। 82 किमी लंबे सम्पूर्ण आरआरटीएस कॉरिडोर के संचालित होने पर इससे 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य है, जिससे सालाना 11,500 टन उड2 उत्सर्जन कम होने की उम्मीद है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम साबित होगा।
एनसीआरटीसी द्वारा 2021 में सौर नीति को अपनाने की पहल की गई, जिसका लक्ष्य अपने सिस्टम में 11 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पन्न करके नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना है। यह पहल राष्ट्रीय सौर मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है और क्षेत्र और राष्ट्र को लाभ पहुंचाने के लिए स्वच्छ, सतत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने में एनसीआरटीसी की भूमिका को मजबूत करती है।
गुलधर और साहिबाबाद आरआरटीएस स्टेशनों पर 1620 उच्च दक्षता वाले सौर पैनलों (प्रत्येक) की स्थापना इस दिशा में एनसीआरटीसी की अटूट प्रतिबद्धता का उदाहरण है। इन स्टेशनों से प्रति स्टेशन सालाना लगभग 10 लाख यूनिट बिजली उत्पन्न होने का अनुमान है। उल्लेखनीय रूप से गुलधर आरआरटीएस स्टेशन पर सालाना लगभग 5 लाख यूनिट बिजली की खपत होने की उम्मीद है, जबकि साहिबाबाद स्टेशन की जरूरतों के लिए लगभग 7.3 लाख यूनिट की खपत का अनुमान है। इन स्टेशनों की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता, इनमें होने वाली खपत से कम होगी, जिससे ये दोनों स्टेशन “कार्बन नेगेटिव” (अपनी आवश्यकताओं से अधिक बिजली पैदा करना) हो जाएंगे। एनसीआरटीसी द्वारा स्वच्छ और हरित वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता देने का लक्ष्य, सार्वजनिक परिवहन के अधिक से अधिक उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
एनसीआरटीसी भारत की पहली रीजनल रेल परियोजना के कार्यान्वयन की शुरूआत के बाद से ही अपने ईकोलॉजिकल फुटप्रिंट्स को कम करने के लिए सतत प्रयासों में लगातार जुटी हुई है। पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति दृढ़ समर्पण के साथ, एनसीआरटीसी का लक्ष्य पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का 70% सौर ऊर्जा के माध्यम से पूर्ण करना है।
वर्तमान में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर साहिबाबाद से मोदी नगर नॉर्थ के बीच 34 किमी का खंड संचालित है, जिसमें आठ स्टेशन साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, दुहाई डिपो, मुराद नगर, मोदी नगर साउथ और मोदी नगर नॉर्थ शामिल हैं। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के शेष हिस्सों पर भी निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं और सम्पूर्ण कॉरिडोर पर जून 2025 तक नमो भारत ट्रेनों का परिचालन आरंभ करना लक्षित है।