हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति पर लगाया ब्रेक
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 के बाद से पश्चिम बंगाल में जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करते हुए ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति पर एक बहुत बड़ा ताला लगा दिया है। दूसरी ओर राहुल गांधी ने भी स्वीकार कर लिया है कि कांग्रेस ने आजादी से लेकर 70 सालों तक देश के गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी एवं महिलाओं के साथ अन्याय किया।
लखनऊ में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि इंडी गठबंधन के सभी घटक दल इसी मानसिकता पर काम कर रहे हैं और वे दलित, ओबीसी और आदिवासियों का हक छीन कर मुसलमानों को देना चाहते हैं। जब तक भाजपा है, वह दलित, ओबीसी और आदिवासियों के अधिकारों पर किसी को भी डाका नहीं डालने देगी। उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए 2010 से 2024 तक तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार द्वारा जारी प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कहा कि ममता बनर्जी ने बिना कोई सर्वेक्षण कराये 118 मुसलमान जातियों को सीधे ओबीसी वर्ग में शामिल कर के मुसलमानों को आरक्षण का लाभ दे दिया था जो कि संविधान की मूल भावना का सरासर उल्लंघन था।
भजन लाल शर्मा ने कहा कि ममता बनर्जी ने पिछड़े वर्ग के अधिकार पर डाका डालते हुए उनसे आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देना चाहती हैं, तभी तो हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद ममता बनर्जी ने कहा- मैं कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार नहीं करती हूँ। ओबीसी आरक्षण वैसे ही जारी रहेगा। यह ममता बनर्जी के अहंकार को दिखाता है और देश के संविधान के खिलाफ तृणमूल और इंडी गठबंधन की सोच को भी दशार्ता है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट के निर्णय पर जिस तरह का बयान दिया है, यह अराजकता का प्रतीक है। यह अदालत की अवमानना और संविधान का अपमान तो है ही, साथ ही यह पश्चिम बंगाल की जनता के साथ विश्वासघात भी है क्योंकि हमारे संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जिन 179 जातियों को ओबीसी का दर्जा ममता बनर्जी सरकार द्वारा दिया गया, उनमें से 118 जातियां मुस्लिम समुदाय से हैं। उन्होंने कहा कि ममता दीदी की तुष्टिकरण की राजनीति अब और नहीं चलने वाली। चार जून को बंगाल की जनता 30 से अधिक लोक सभा सीटों पर कमल खिला कर मोदी जी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएगी। इसी दिन से ममता दीदी की विदाई का दिन शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम में जिसका कथित तौर पर नाम था संविधान सम्मान सम्मेलन, उसमें स्वीकार किया कि उनकी दादी, उनके पिताजी, उनकी माताजी के समय किस तरह संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही थी और दलित, पिछड़े एवं आदिवासियों का हक कांग्रेस की सरकार मार रही थी। आप सच को छुपाने की कितनी भी कोशिश करो लेकिन सच तो सच होता है, वह तो सामने आ ही जाता है।
भजन लाल शर्मा ने कहा कांग्रेस द्वारा पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के शोषण के एक नहीं, कई उदाहरण हैं। कांग्रेस ने 40 साल तक ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता नहीं दी। ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देने का कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। उन्होंने कहा कांग्रेस ने दलित, ओबीसी एवं आदिवासियों के अधिकारों पर डाका डालने का हरसंभव काम किया। कांग्रेस ने अपने शासित राज्यों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देने का पाप किया। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस ऐसा करने के कई प्रयास कर चुकी है। कर्नाटक में तो ओबीसी कोटे में मुसलमानों को डालकर ओबीसी का आरक्षण मुसलमानों को दिया जा रहा है।
राजस्थान के सीएम ने कहा कांग्रेस की सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे शिक्षण संस्थानों में भी ओबीसी, दलित और आदिवासियों का आरक्षण खत्म कर दिया। जिस ममता बनर्जी ने ओबीसी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दिया, मुसलमानों को ओबीसी का दर्जा दिया, उसे कांग्रेस और सपा उत्तर प्रदेश में सीट दे रही है। ये इनकी तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा बंगाल की ही तरह कांग्रेस आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मुसलमान जातियों को ओबीसी में शामिल कर रही है और धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण दे रही है। कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में उसने विभिन्न समय में तमाम मुसलमानों को ओबीसी में डालकर उनको आरक्षण दिया है। आन्ध्र प्रदेश में चार बार इसका प्रयास किया गया। कर्नाटक में ओबीसी के अंदर कैटेगरी 28 बनाकर सभी मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया गया।
शर्मा ने कहा बाबा साहब का तो कांग्रेस ने कदम कदम पर विरोध किया। बाबा साहब को चुनाव में जीत से रोकने के लिए कांग्रेस ने बार-बार रोड़े अटकाए। कांग्रेस शासनकाल में बाबा साहब को भारत रत्न सम्मान नहीं दिया गया। बाबा साहब को भारत रत्न तब मिला जब केंद्र में भाजपा के समर्थन से सरकार बनी। कांग्रेस ने संसद भवन में बाबा साहब का तैल चित्र भी नहीं लगने दिया।