Dainik Athah

‘Hichki’ ने समाज के पहलू से कराया रूबरू

गाजियाबाद। फिल्मी समाज का दर्पण होती है और जो समाज में घट रहा होता है उसको दर्शा कर समाज को दिखाना भी एक अच्छे फिल्मकार का दायित्व होता है। जरूरी नहीं बड़ी फिल्म या बड़े बजट की फिल्म ही कोई बड़ा संदेश देती है, कभी-कभी शॉर्ट फिल्में भी समाज का दर्पण बन जाती है ओर समाज को इस हकीकत से रूबरू कराती है जो उसके आसपास घट रही होती है किंतु वह उनसे अनजान रहता है।

'Hichki' ने समाज के पहलू से कराया रूबरू
‘Hichki’ फिल्म का एक दृश्य

 ऐसा ही संदेश शॉर्ट फिल्म हिचकी(Hichki) ने दिया जो माननीय मूल्यों को दर्शाती है, मात्र 4 मिनट की यह फिल्म आज के परिवेश में भारत जैसे देश की एक सामान्य परिवार के माध्यम से लोगों को सहायता करने के लिए प्रेरित करती है। वही कोविड-19 की वजह से कितने लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे होंगे की ओर इशारा करती है, यह फिल्म बड़े मियां- बीवी के सामान्य से संवाद हिचकी को लेकर हैं किंतु फिल्म ने एक गरीब बच्चे जीतू पर आकर केंद्रित हो जाती है। क्योंकि हिचकी जब आती है तब कोई अपना याद करता है और इस फिल्म में भी समाज को जागृत करने के लिए हिचकी(Hichki) का उपयोग किया।

‘Hichki’ short film (Youtube: Manish paul)
'Hichki' ने समाज के पहलू से कराया रूबरू
कुलिश कांत ठाकुर

फिल्म के निर्देशक व लेखक कुलिश कांत ठाकुर ने जहा एक नई घटना को लिखकर निर्देशित किया है वही कम अवधि की फिल्म में भी बेहतर तरीके से फिल्म आकर समाज को संदेश देने का प्रयास किया है। फिल्म में जहां अभिनय मनीष पॉल मुक्ति और मोहम्मद असलम अंसारी ने किया है फिल्म लेखन का कार्य कुलिश कांत ठाकुर ओर यथार्थ शर्मा ने किया हैं। वहीं फिल्म के निर्माता मनीष पाल, राघवेंद्र सिंह को बेहतर फिल्म के लिए  अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर कर बधाई भी दी।

शॉर्ट फिल्म हिचकी(Hichki) फिल्म यूट्यूब के माध्यम से भारत ही नहीं विदेशों में भी बहुत पसंद की जा रही है।  गाजियाबाद के इंदिरापुरम शिप्रा सनसिटी निवासी फिल्म के निर्देशक कुलिश कांत ठाकुर कहते हैं कि कोविड-19 के कारण आने को गरीबों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा, किंतु ऐसे भी बहुत से लोग हैं जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। 

चंद सिक्कों की मदद से प्रतिदिन लाखों लोग कितनी बड़ी मदद कर देते हैं यह वह भी नहीं जानते, हिचकी ऐसे ही लोगों को रूबरू करने का एक जरिया है फिल्म में संदेश दिया है कि …जो लोग हमारे लिए कुछ नहीं होते हम उनके लिए उनका सब कुछ होते हैं, हम वह अजनबी हैं जिन्हें यह अपना कहते हैं, ऐसा ही कोई अजनबी खाली सड़कों पर अपनों को ढूंढ रहा होगा शायद आपको ढूंढ रहा हूं।

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