Dainik Athah

मंथन: इसे कहते हैं आपदा को अवसर में बदलना!

मंथन

मंथन: देश के प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि आपदा को अवसर में बदला जाये। इस अपील का छोटे एवं मध्यम वर्ग पर असर कितना हुआ यह तो नहीं पता। लेकिन देश में कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने आपदा को अवसर में बदलने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी।

बड़े औद्योगिक घरानों की बात करना बेमानी होगी। इसका कारण यह है कि वे तो ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी बड़े उद्यमी है जो आपदा में भी लोगों की सहायता करने में पीछे नहीं रहे। इसी कड़ी में एक नया औद्योगिक घराना। जी हां अब तो उसे घराना ही कहना होगा इसका कारण यह है कि अब वह कोई गुरु अथवा योगी नहीं एक बड़े औद्योगिक साम्राज्य के कर्ताधर्ता है ने जमकर लाभ उठाया।

लॉक डाउन से पहले उनकी गले के लिए लाभ दायक एक गोली की शीशी यहीं कोई 20 रुपये की थी। इन महाशय ने अवसर का लाभ उठाया और अब इसी गोली की शीशी का मूल्य 75 रुपये कर दिया। सीधे करीब करीब चार गुना। इसे कहते हैं आपदा को अवसर में बदलना।

इसी प्रकार कुछ अन्य आयुर्वेदिक दवाओं के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर आपदा को अवसर में बदलकर लाभ उठाया जा रहा है। आपको बता दें कि इन्होंने कुछ वर्ष पूर्व दावा किया था कि उनकी दवा खाने से निश्चित ही लड़का होगा। लेकिन जब राज्यसभा में यह मामला उठा तो उस समय इस दवा निर्माता को कदम पीछे हटाने पड़ गये। बतातें है कि कोरोना के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ने से अवसर का लाभ उठाया जा रहा है।

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