- बागपत लोकसभा क्षेत्र का मोदीनगर विधानसभा
- विधायक डा. मंजू शिवाच- पूर्व चेयरमैन राम आसरे शर्मा के प्रयासों का दिखेगा असर
- त्यागी समाज में विधायक अजीत पाल त्यागी ने लगाया था दम
- चेयरमैन विनोद वैशाली ने दलित समाज में लगाया दम
- गठबंधन प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान के छवि ने भी दिया साथ
अथाह संवाददाता
मोदीनगर। जिले की मोदीनगर विधानसभा ही ऐसा क्षेत्र है जो गाजियाबाद के स्थान पर बागपत लोकसभा क्षेत्र में शामिल है। लगातार दो बार से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। लेकिन इस बार राजग गठबंधन में शामिल राष्टÑीय लोकदल को यह सीट उपहार में दे दी गई। इस सीट पर प्रत्याशी के खुद के चेहरे के साथ ही भाजपा की मेहनत भी कहीं न कहीं प्रत्याशी को मोदीनगर क्षेत्र में बहुमत की तरफ अग्रसर होगी। भाजपाई अपमान का घूंट पीकर भी गठबंधन धर्म निभाने में लगे रहे।
बागपत लोकसभा क्षेत्र से रालोद ने डा. राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा था। डा. राजकुमार सांगवान की छवि पूरे क्षेत्र में अच्छी है। भाजपा पिछले दो चुनावों से यहां पर जीत हासिल करती रही है। पूर्व पुलिस आयुक्त डा. सत्यपाल सिंह विपरीत परिस्थितियों में भी इस क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचते रहे हैं। इस बार गठबंधन में सीट रालोद के खाते में जाने पर भाजपाइयों की स्थिति ऐसी हुई कि जबरा मारे और रोने भी न दें। गठबंधन धर्म निभाने के लिए पूरी भाजपा सांगवान को विजयी बनाने में जुट गई। जबकि बागपत लोकसभा क्षेत्र में कई स्थानों पर कहीं भाजपाइयों को पीटा गया तो कहीं पर उन्हें बेइज्जत किया गया। बावजूद इसके उन्हें मोदी सरकार दिखाई दे रही थी और वे काम में जुटे रहे।
स्थिति यह थी कि जब सपा ने पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को बागपत लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया तो उन्होंने ब्राह्मणों के साथ ही त्यागी एवं दलित समाज पर डोरे डालने शुरू कर दिये। अल्पसंख्यक मतदाता तो पहले से ही उनके साथ था। ऐसे में विधायक डा. मंजू शिवाच, पूर्व चेयरमैन राम आसरे शर्मा ने जहां सभी बिरादरी के साथ ही ब्राह्मणों को सहेजना शुरू किया तो वर्तमान चेयरमैन विनोद वैशाली जाटव ने दलित समाज में अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर मेहनत शुरू कर दी। इसका असर भी बहुत कुछ देखने को मिला। तीनों के प्रयासों से अमरपाल मोदीनगर में वह नहीं कर सके जो उन्हें करना चाहिये था। इसके साथ ही अमरपाल शर्मा को मोदीनगर में ऐसे नेता नहीं मिल सके जिनका समाज में एवं विधानसभा क्षेत्र में बड़ा सम्मान हो।
अमरपाल मोदीनगर के कुछ सभासदों के भरोसे ही चुनाव लड़ते नजर आये। इसे उनकी कमजोरी के रूप में देखा गया। मोदीनगर का कोई बड़ा चेहरा उनके साथ नजर नहीं आया।
अजीत पाल त्यागी ने त्यागी समाज को साधने का किया काम
इसके साथ ही त्यागी समाज में बिखराव को रोकने के लिए मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी ने खुद मोर्चा संभाला और त्यागी बहुल गांवों में सभाएं करने के साथ ही बैठकों का आयोजन किया।
मोदी सरकार के लिए सहा अपमान
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनाने के लिए अपमान सहन करना पड़ा। एक एक सीट कीमती है इसे सभी जानते हैं। लेकिन रालोद को भाजपाइयों को बड़ा भाई मानते हुए काम करना चाहिये। खुद रालोद मुखिया जयंत चौधरी एवं प्रत्याशी राज कुमार सांगवान ने रालोद कार्यकर्ताओं को सीख दी, लेकिन उनकी समझ में नहीं आया। अब जीत तो भाजपा की ही होगी।