जीडीए उपाध्यक्ष ने जोन-7 का किया औचक निरीक्षण
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। अवैध निर्माण की नई राजधानी का जीडीए उपाध्यक्ष अतुल गौड़ ने सोमवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें बेशुमार खामियां देखने को मिलीं। गौरतलब है कि जोन-7 में लंबे समय से अवैध निर्माण की शिकायतें मिल रही हैं। लेकिन आज उपाध्यक्ष के औचक निरीक्षण से जीडीए के अभियंताओं व निर्माण कतार्ओं की सांठगांठ उजागर हो गई। जीडीए उपाध्यक्ष के इस औचक निरीक्षण के बाद से प्राधिकरण के सभी आठ जोन में हड़कंप मचा हुआ है। निरीक्षण के पशचात जोन-7 में नियुक्त सुपरवाइजर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि दैनिक अथाह के 4 मार्च के अंक में अवैध निर्माण के विरुद्ध समाचार ‘जोन-7 में अवैध निर्माण की कमान है सत्ता पक्ष के हवाले’ प्रकाशित किया था। जिसमें इस बात का हवाला था कि प्रवर्तन जोन-7 हिंडन पार क्षेत्र का दुबई माना जाता है। अवैध निर्माण के लिए बदनाम इस इलाके में तैनाती के लिए अभियंताओं में होड़ लगी रहती है। तत्कालीन उपाध्यक्ष एवं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह और उससे पहले तत्कालीन उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने जोन-7 में अवैध निर्माण के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ रखा था। लेकिन तमाम सख्ती के बावजूद जोन-7 के अधिकांश इलाके में अवैध निर्माण की सुनामी आई हुई है। इस संपूर्ण अवैध निर्माण को सत्ता पक्ष का संरक्षण बताया जाता है। लोगों का सरे आम आरोप है कि जोन-7 के जिम्मेदार अभियंता सत्ता पक्ष के उन नुमांइदों के पास गिरवी पड़े हैं जो अवैध निर्माण के सर्वेसर्वा हैं। जोन-7 में जीडीए के सुपरवाइजर से लेकर संबंधित अभियंता की पौ बारह रहती है। लोगों का आरोप तो यहां तक है कि सत्ता पक्ष के लोग यहां दो तरह से ही बात करते हैं। बात बन जाए तो ‘चांदी का जूता’ नहीं तो… आशय आप खुद ही समझ जाएं।
यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि जोन-7 में अवैध निर्माण की सुनामी किसी एक श्रेत्र में नहीं बल्कि पूरे जोन में आई हुई है। खासतौर से अवैध निर्माण की इस सुनामी में राजेंद्र नगर, लाजपत नगर, साहिबाबाद, स्वरूप नगर, श्याम पार्क, नवीन पार्क, राधेश्याम पार्क और शालीमार गार्डन में आई दिखाई देती है।
आज के औचक निरीक्षण के दौरान पाया गया कि सभी निर्माण आवासीय मानचित्र स्वीकृत कराते हुए निर्मित किए जा रहे हैं। जिनमें बेसमेन्ट व स्टिल्ट तथा 3 या 4 तल स्वीकृत किये गये है। मौके पर बेसमेन्ट को मौजूदा मार्ग स्तर से काफी ऊपर निर्मित किया गया है, जिससे बेसमेन्ट की प्रकृति प्रभावित हो रही है। इसी तरह स्टिल्ट तल को इस प्रकार निर्मित किया जा रहा है कि भविष्य में इसमें पार्किंग न करके इसका व्यावसायीकरण कर दिया जाएगा। किसी भी निर्माण स्थल पर प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत मानचित्र उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि मानचित्र स्वीकृत करते समय इस शर्त के साथ अनुमोदित किया जाता है कि स्वीकृत मानचित्र को निर्माण स्थल पर दर्शित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त निर्माण स्थल पर कोई भी तकनीकी मानव संपदा उपस्थित नहीं पाया गया एवं निर्धारित सैटबैक कवर करते हुए मानकों के विपरीत निर्माण किये जा रहे है। पूर्व में भी इन निर्माण के नियम विपरीत होने पर ही इनको नोटिस जारी कर वाद संस्थित किए गए थे, परंतु इसके उपरांत भी निर्माण कार्य क्रियाशील था। उपरोक्त विसंगतियां इस तथ्य को स्पष्ट करती हैं कि संगठित रूप से अवैध निर्माण किया जा रहा है, जिसमे प्राधिकरण कर्मचारियों व अधिकारियों की घोर पर्यवेक्षणीय लापरवाही दर्शित हो रही है। सभी निर्माण को विधि विरुद्ध किये जाने पर उतर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 की सुसंगत धाराओं में तत्काल कार्यवाही करते हुए सील करने के निर्देश दिये गये है।