Dainik Athah

लोनी में नेताओं की भीड़ क्या खिला पायेगी फूल या दौड़ेगा पंजा

  • गाजियाबाद लोकसभा चुनाव 2024
  • दो विधायक, एक नगर पालिका चेयरमैन, जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख और पूर्व ब्लाक प्रमुख लगे थे चुनाव में
  • गाजियाबाद से विशेष रूप से भेजा गया जाट नेता को, फिर दूसरे जाट नेता को भी भेजा गया था लोनी

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद
। लोनी जिसे लवणासुर की भूमि भी कहा जाता है में गाजियाबाद लोकसभा का चुनाव परिणाम कैसा रहेगा इसको लेकर लोनी से लेकर पूरे लोकसभा क्षेत्र में चर्चा है। चर्चा क्यों न हो जब दो विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका चेयरमैन, ब्लाक प्रमुख के साथ ही नेताओं की पूरी फौज ही लोनी में उतरी हो। इतना ही नहीं भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग का पूरा ध्यान भी लोनी पर ही था।

बता दें कि लोनी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नंद किशोर गुजर्र ने 2022 के विधानसभा चुनाव में करीब नौ हजार मतों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने रालोद प्रत्याशी और पूर्व विधायक खेकड़ा मदन भैया को हराया था। उस चुनाव में लोनी की तत्कालीन और वर्तमान चेयरमैन रंजीता धामा भी मैदान में उतरी थी। इस लिहाज से देखा जाये तो लोनी में भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग की जीत इकतरफा होनी चाहिये। कारण ये सभी लोग इस बार गर्ग को चुनाव लड़वा रहे थे। इनके साथ ही यदि बात की जाये तो लोनी ब्लाक प्रमुख भी भाजपा के ही है। जिला पंचायत अध्यक्ष ममता त्यागी भी लोनी क्षेत्र से ही आती है। इतना ही नहीं भाजपा के प्रदेश मंत्री बसंत त्यागी भी इसी क्षेत्र से है।

इनके साथ ही पूर्व ब्लाक प्रमुख अनिल कसाना, पूर्व चेयरमैन डा. विनोद बंसल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी मावी समेत लोनी क्षेत्र में भारी भरकम नेताओं का जमावाड़ा है। इतना सबकुछ होते हुए भाजपा का यहां पर मुकाबला ही नहीं होना चाहिये। विधायक नंद किशोर गुर्जर 70 मतों से लोनी क्षेत्र से जीत का दावा भी कर रहे हैं।

दो जाट नेताओं को विशेष रूप से भेजा गया लोनी
इतना सबकुछ होते हुए भी गाजियाबाद से पहले पूर्व महापौर आशु वर्मा को लोनी में ड्यूटी पर लगाया गया। इतने पर भी बात नहीं बनी तो भाजपा के वरिष्ठ नेता ब्रजपाल तेवतिया को लोनी की जिम्मेदारी देकर भेजा गया। आखिर क्या कारण था कि लोनी को लेकर भाजपा प्रत्याशी चिंतित थे।

सूत्रों की मानें तो लोनी क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला कांग्रेस की डॉली शर्मा से निकट का है। यहां पर लोगों से बात की जाये तो कोई भी यह बता पाने में सफल नहीं हो पा रहा कि आखिर लवणासुर की भूमि पर किसकी जीत होगी। यह चुनाव यह भी बतायेगा कि लोनी की चिंता का कारण क्या था। इसका पता तो चुनाव परिणाम के बाद ही लगेगा।

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