अथाह संवाददाता
फतेहपुर सीकरी। महान सूफी संत हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह के सज्जदानशीन हजरत पीरजादा रईस मियां चिश्ती ने अपने जानशीन (उत्तराधिकारी) के नाम का ऐलान किया। ऐतिहासिक कचहरी खानकाह मे उर्स की महफिल के दौरान ये घोषणा की गई। इस मोके पर हजारों लोगों, सूफियो एवं सज्जदानशीनों ने शिरकत की। विशेषकर अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जदानशीन सैयद जैनुल आबेदींन्न अली खान ने बधाई दी है।
सज्जदानशीन पीरजादा आयजुद्दीन चिश्ती उर्फ़ रईस मियां ने अपने ऐतिहासिक संबोधन मे कहा कि 1943 में मेरे वालिद स्वर्गीय पीरजादा अजीजुद्दीन चिश्ती के इंतकाल के बाद मुझे सज्जदानशीन बनाया गया था, तब मेरी उम्र सात वर्ष थी। इसी कचहरी मे मेरी दस्तरबंदी हुई थी। मुझे खुशी है कि मैं अपने बड़े बेटे पीरजादा अरशद फरीदी की 17वें सज्जदानशीन के लिए दस्तरबंदी कर रहा हूं। अपने भावुक खिताब मैं उन्होंने कहा कि 81 साल तक इस चौखट की खिदमत की और उम्मीद करता हूं अरशद फरीदी दरगाह की परंपराओं, धार्मिक व सामाजिक नियमों का पालन करेंगे। शाही फरमान मे वर्णित नियमों के अनुसार पवित्र दरगाह के निजाम को चलायेंगे।
गौरतलब है कि बाबा शैख सलीम चिश्ती अजमेर शरीफ के ख्वाजा गरीब नवाज की चिश्ती परंपरा के सर्वमान्य सूफी थे। वह प्रसिद्ध सूफी हजरत बाबा फरीद के परिवार से थे। शैख सलीम चिश्ती का उर्स गत 454 वर्ष से यहां हर साल हो रहा है। इस अवसर पर मौजूद बाबा शैख सलीम चिश्ती के तमाम श्रद्धालुओं ने इस घोषणा का स्वागत किया। विभिन्न खनकाओ की और लोगो ने भी पगड़ी पेश की।
बाद में लोगो को संबोधित करते हुए पीरजादा अरशद फरीदी ने कहा कि अपने पिता के सान्निध्य में रहते हुए वह खानकाही परंपराओं से भली भांति परिचित हुए हैं और आगे भी उनके आदर्शों पर चलेंगे। उन्होंने कहा इस दरगाह पर सिर्फ एक धर्म विशेष के नहीं बल्कि हर धर्म के लोग आते हैं, इसलिए हमारा दायित्व है कि हम सबका ख्याल रखें। भाईचारे को बढ़ावा दें और सबकी श्रद्धा व आस्था का ख्याल रखें। हमारा मकसद अल्लाह की कृपा और दया हासिल करना है, देश के विकास के लिए प्रार्थना करना और प्रेम व आपसी भाई चारे को बढ़ावा देना है।