- श्रमण संस्कृति के आधार पर ही भारतीय संस्कृति की कल्पना की जाती है।
- भारतीय संस्कृति के निर्माण में जैन श्रमण संस्कृति का जो योगदान है उसे वया नही किया जा सकता है।
- उन श्रमण संस्कृति में अपना अभिन्न स्थान रखने वाले एक अलौकिक संत है संस्कार प्रणेता आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज।
आचार्य श्री का जीवन परिचय
परम पूज्य संस्कार प्रणेता आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज का जन्म 22अक्टूबर 1970 को छत्तीसगढ़ (तत्कालीन म.प्र.) के जसपुर नगर में हुआ था। आपका बचपन मे नाम सुरेंद्र था। आपके पिताजी वरिष्ठ समाजसेवी एवं बड़े व्यापारी श्री श्रीपाल जी पाटनी (जैन) है। आपकी पूज्य माता जी कुशल गृहणी, अलौकिक संत को जन्म देने वाली माँ चंदप्रभा है। भाई-श्री दिलीप जी, श्री प्रदीप जी, श्री राजेश जी, श्री कमलेश जी, श्री पंकज जी है। बहन-किरण,ममता,ज्योति,जयश्री है।
ऐसे बने सुरेंद्र से सौरभ सागर
जब सुरेंद्र मात्र 12 वर्ष के थे तभी उनके नगर जसपुर में आचार्य पुष्पदंत सागर जी का आगमन हुआ। पूज्य आचार्य श्री प्रतिदिन प्रवचन से पूर्व नम: श्री वर्धमानाय………. मंगलाचरण किया करते है और यह मंगलाचरण बालक सुरेंद्र को याद हो गया। एक दिन आचार्य श्री ने देखा की एक छोटा सा बालक मंगलाचरण को याद करके बोल रहा है उसे अपने पास बुलाया और पूछा कि तुम्हे ये कठिन सा मंगलाचरण कैसे याद हुआ तब बालक सुरेंद्र ने कहा की आप प्रतिदिन बोलते हो तो मैंने सुनकर याद कर लिया।
आचार्य पुष्पदन्त जी गुरुदेव ने अपनी दिव्य ओर दूर दृष्टि से देखा कि यह बालक आगे चलकर जैन धर्म की पताका को उचाईयों तक ले जाएगा। और तुरंत मा चंदप्रभा ओर पिता श्रीपाल जी को बुलाया को उनसे उनका प्रिय पुत्र मांग लिया। माता पिता ने भी आचार्य श्री के हाथों में अपने प्रिय पुत्र को सौंप दिया, ओर 08 अप्रेल सन 1983 को बालक सुरेंद्र ने गृह त्याग दिया। उस समय बालक सुरेंद्र की आयु मात्र 12 वर्ष 6 महीने की थी।
सुरेंद्र ने गुरुदेव के साथ ब्रह्चर्य व्रत को ग्रहण किया और 17 जनवरी सन 1986 को मात्र साढ़े पंद्रह वर्ष की आयु में छतरपुर नगर में क्षुल्लक दीक्षा आचार्य श्री ने प्रदान की, आपकी बढ़ती साधना एवं ज्ञान से राजस्थान की पावन धरा बागड़ प्रांत के बांसवाड़ा जिले के अंदेश्वर नामक पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र मे 27 जून 1986 को ऐल्लक दीक्षा ग्रहण कर की । सतत आठ वर्ष की कड़ी साधना के द्वारा जिनागम के रहस्यों को जानने, समझने एवं ह्रदय मे उतार गुरु आशीष की छाया में अपनी प्रतिभा को निखारा। अंतत: 21 सितंबर 1994 को उत्तरप्रदेश की धर्म नगरी इटावा मे आचार्य श्री ने आपको मुनि दीक्षा दी।
आचार्य श्री अपने ज्ञान- ध्यानी, सोम्य, शांत, मुनि को देखकर प्रसन्नचित रहते और अपने ही साथ उत्तरप्रदेश से नेपाल तक की यात्रा कराई
तदुपरान्त उन्होने 21 मई 1995 को यू.पी. के बाराबंकी नामक शहर से मंगलमय भरपूर आशीर्वाद प्रदान कर स्वतंत्र धर्म प्रभावना हेतु विदा किया। आपने धर्म प्रभावनार्थ मई-जून की भीषण गर्मी मे बांदा की और विहार किया और अपनी सूझबूझ से चारित्रिक निर्मलता से दो वर्ष की अल्पावधि मे ही बहूचर्चित हो गए।
आपने विश्व इतिहास की प्रथम घटना बांदा , शिवपुरी, आगरा, अलीगढ़, ग्वालियर, इलाहबाद, रोहतक आदि जेल मे मंगल प्रवचन किए एवं हजारों कैदियो को मांस, अंडा, शराब आदि का त्याग कराया ।
राजकीय अतिथि
सन 2012 में आपको छत्तीसगढ़ एवं झारखंड सरकार,सन 2019 में रजत पुष्प वषार्योग में उत्तराखंड सरकार एवं 2019 में लखनऊ में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य का राजकीय अतिथि घोषित कर राजकीय सम्मान दिया।
साहित्यिक सृजन
पूज्य आचार्य श्री ने अनेक कृतियां का सृजन किया है जिसमें से फूलों की सेज, मत कुचलो मासूम कली को, धर्म गगन में करे विहार, प्रेरक प्रवचन, पत्थर की मानवाकृति, आओ लौट चलें (श्रावक प्रतिक्रमण पर आधारित), के साथ साथ जैनत्व का बोध एवं सिद्धान्त शतक कृति प्रमुख है। पूज्य गुरुदेव की कृतियों को पढ़ पढ़ के कई ने प्रवचन देने तक सीखे है।
अनुपम कृतियां
पूज्य गुरुदेव के द्वारा ‘मंगलं पुष्पदंताद्यो’ (विस्मरण से स्मरण की ओर) कृति की रचना की गई है जो यथार्थ का बोध कराती हुई अनेक रहस्यों को उद्घाटित करती है एवं जैन श्रमण संस्कृति के इतिहास को उजागर करती है। इसके साथ साथ जैनाचार, श्रावकाचार,श्रमणाचार अलौकिक कृति है।
मुरादनगर गंग नहर के किनारे जीवन आशा हॉस्पिटल का निर्माण भी पूज्य गुरूदेव की प्रेरणा से
सौरभ सागर सेवा संस्थान के अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन ने बताया कि पूज्य गुरुदेव ने मानव सेवा के लिए ‘जीवन आशा हॉस्पिटल’ का निर्माण गाजियाबाद जिले के गंगनहर पर करवाया है। 20 एकड़ से भी अधिक क्षेत्रफल में यह हॉस्पिटल स्थापित है जहां दिव्यांग व्यक्ति के लिए निशुल्क कृत्रिम अंग लगाए जाते है। साथ ही साथ अनेक प्रकार की चिकित्सीय सुविधाएं भी नि:शुल्क प्रदान की जाती है। जीवन आशा हॉस्पिटल के ट्रस्टी संजय जैन ने बताया कि जीवन आशा हॉस्पिटल का उद्घाटन सौरभ सागर सेवा संस्थान के सौजन्य से हुआ। इस अस्पताल का उद्घाटन चार वर्ष पूर्व 20 मई 2020 को केंद्रीय राज्यमंत्री जरनल वीके सिंह एवं यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने किया था। इस अस्पताल के माध्यम से अब तक चार वर्ष में ढ़ाई हजार से ज्यादा दिव्यांगों को नवीनतम तकनीक के कृत्रिम अंग लगाये जा चुके हैं।
तीर्थ निर्माण
सीएम अशोक जैन ने बताया कि पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से नेशनल हाईवे-01 पर हरियाणा गन्नौर के समीप ‘सौरभांचल’ तीर्थ का निर्माण कराया गया है। जहां नवग्रह की नव जिन प्रतिमाएं, आदिनाथ भगवान की वृहद प्रतिमा, रत्न चौबीसी मंदिर, श्रुत स्कंध मंदिर आदि है। यहाँ सौरभांचल ट्रस्ट हॉस्पिटल भी चलता है जिसमें अनेकों को लाभ मिल रहा है।
इसके साथ ही गाजियाबाद जिले के गंगनहर पर श्री मंशापूर्ण महावीर क्षेत्र जहां पर भूगर्भ से प्रगटित अतिशयकारी 1200 वर्ष पुरानी प्राचीन श्री महावीर स्वामी की जिन प्रतिमा विराजमान है। श्री सम्मेद शिखर की पावन धरा में संतो की साधना एवं गृहस्थों की आराधना का उत्कृष्ट अंचल ‘सौरभाँचल’ का भी निर्माण चल रहा है।
प्रेरणा
पूज्य गुरुदेव के प्रेरणा से अनेक नगरों में पाठशालाओं का निर्माण, संतनिवास का निर्माण, गौशाला, प्रवचन हेतु सभागारों का निर्माण, चिकित्सालय का निर्माण, अतिथि भवन का निर्माण आदि हुए है।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठाये
पूज्य गुरुदेव ने अपने 29वर्ष के मुनि जीवन मे 60 से अधिक पंचकल्याणक प्रतिष्ठाये कराई है, जिनमें 2 स्थानों पर तीस चौबीसी की पंचकल्याणक कराये है।
ऐसे जैन संस्कृति के एवं श्रमण संस्मृति के उन्नायक व अपराजेय साधक संस्कार प्रणेता आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज के श्री चरणों मे कोटि कोटि नमन
गुरु चारणानुरागी
संदीप जैन ‘सजल’
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 9 से 14 अप्रैल तक
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद के संरक्षाक जम्बू प्रसाद जैन एवं चेयरमैन सीए अशोक जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश की धर्म नगरी गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में 1008 मज्जिनेंद्र नेमिनाथ जिनबिम्ब ‘पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव’ एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन 9 से 14 अप्रैल तक किया जायेगा। 9 अप्रैल को ध्वजारोहण एवं गर्भकल्याण पूर्व रूप का आयोजन होगा। 10 अप्रैल को गर्भकल्याणक एवं द्वितीय आचार्य पदारोहण समारोह का आयोजन। संयोजक संजय जैन ने बताया कि इस दौरान सुबह 8.30 बजे दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट एवं मंगल आरती के साथ ही आचार्य श्री द्वारा मंगल प्रवचन का आयोजन होगा। 11 अप्रैल को जन्म कल्याणक का आयोजन होगा। 12 अप्रैल को तप कल्याणक, 13 अप्रैल को ज्ञानकल्याणक एवं 14 अप्रैल को मोक्ष कल्याणक का आयोजन होगा।