Dainik Athah

कविता: उसी का नाम शहर है

जहां पड़ोसी की ना पड़ोसी को खबर है,
उसी का नाम शहर है।
जहां ना अपने ना अपनों के लिए समय है,
उसी का नाम शहर है।
जहां आंखों में जलन, जिस्म में घुलता जहर है ,
उसी का नाम शहर है।
जहां ना भाव ना संवेदनाओं की लहर है ,
उसी का नाम शहर है।
जहां कंक्रीट के पहाड़ों से निकलती कोई दूषित नहर है,
 उसी का नाम शहर है।।

कवि: डॉ. प्रेम किशोर शर्मा निडर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *