- नये सड़क दुर्घटना कानून के विरोध में
- रोडवेज समेत ट्रकों का चक्का जाम, जनता में हा हाकार
- प्रमुख सचिव परिवहन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की प्रदेशभर के रोडवेज अफसरों से बात
- जिलाधिकारियों से सहयोग लेने और चालकों को समझाने की अपील
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये सड़क दुर्घटना संबंधी नये कानून के विरोध में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में रोडवेज बसों समेत निजी सवारी एवं माल ढोने वाले वाहनों के पहिये थम गये। इससे आम जनता में हा हाकार की स्थिति है। लोगों को गंतव्य तक जाने के लिए साधन नहीं मिल रहे हैं। उधर प्रमुख सचिव परिवहन एल वेंकटेश्वर लू ने पूरी स्थिति समीक्षा करने के साथ ही सभी आरएम और एआरएम को निर्देश दिये कि वाहनों को सड़कों पर उतारा जाये।
बता दें कि केंद्र सरकार ने कानूृन में संसोधन करते हुए कहा है कि सड़क दुर्घटना होने पर वाहन चालक को दस वर्ष तक की सजा होगी। इसके विरोध में प्रदेशभर के वाहनों के चालक सकते में है। इसके साथ ही जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। इसके विरोध में साल के पहले ही दिन वाहन चालकों ने अपने अपने वाहनों के पहिये जाम कर दिये। रोडवेज बसों के चालक भी इस कानून के विरोध में लामबंद हो गये और बसों को बस अड्डों एवं डिपो से बाहर नहीं निकाला। इसके साथ ही ट्रक चालक और निजी यात्री वाहनों के चालकों ने भी वाहन नहीं चलाये। इस स्थिति में आम जनता के सामने समस्या उत्पन्न हो गई कि वह क्या करें। घंटो घंटों सड़क पर खड़े होने के बावजूद लोगों को गंतव्य तक आने जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल सका।
गाजियाबाद जिले की बात करें तो यहां पर भी रोडवेज बसें बस अड्डों से बाहर नहीं निकली। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अधिकारियों ने असफल प्रयास भी किये, लेकिन उनकी किसी ने सुनी नहीं। जिस कारण देर रात तक भी गाजियाबाद में रोडवेज बसों के पहिये नहीं घूम सके। बसों के न चलने के कारण ट्रेनों में स्थिति यह रही कि उनमें पैर रखने तक की जगह नहीं बची। लोगों ने लटक कर ट्रेनों में सफर किया।
देर शाम प्रदेश के प्रमुख सचिव परिवहन एल वेंकटेश्वर लू ने जिलों के आरएम और एआरएम के साथ वीडियो कांफ्रेंंसिंग से बात की। उन्होंने कहा कि चालकों को समझाओ कि कानून अभी लागू नहीं हुआ है। पहले दो साल की सजा थी, लेकिन कौन चालक जेल गया। उन्होंने कहा निजी वाहन चालकों के साथ हमारी रोडवेज यूनियन नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिये कि जहां पर अधिक दिक्कत है वहां पर संबंधित जिलाधिकारी एवं एसएसपी से बात करें तथा बसों को सड़कों पर उतारें।