- ओम प्रकाश राजभर की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद
- खरमास समाप्त होने के बाद हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
- केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद योगी से मिलने पहुंचे राजभर
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। पूर्व मंत्री एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने क्या पहुंचे एक बार फिर राजधानी की फिजाओं में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं शुरू हो गई है।
योगी की पहली सरकार में मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सपा गठबंधन से चुनाव लड़ने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी पटरी नहीं बैठ पाई और वे वापस भाजपा के राजग गठबंधन में शामिल हो गये। वे जब से गठबंधन का हिस्सा बनें है तब से उनके मंत्री बनने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रही है। खुद राजभर भी लगातार बयान देकर जल्द मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही खुद के मंत्री बनने की बात कहते आ रहे हैं। अनेक मर्तबा तो ऐसा भी हुआ कि लगा अगले एक दो दिन में मंत्रिमंडल का विस्तार हो जायेगा, लेकिन सभी कयास मात्र अफवाहों तक ही सीमित रहे।
मंत्रिमंडल विस्तार न होने से राजभर की परेशानी को समझा जा सकता है। यहीं कारण है कि उन्होंने पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर अपना दर्द बयां किया। राजभर चारों तरफ हाथ पैर मारते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री से इस दौरान उनकी एक बार भी मुलाकात नहीं हुई। इससे यह संदेश गया कि सीएम योगी आदित्यनाथ राजभर को मंत्री बनाने के इच्छुक नहीं है। लेकिन जिस प्रकार शुक्रवार को राजभर ने अपने पुत्र एवं पार्टी के राष्टÑीय महासचिव अरविंद राजभर के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की। बाहर आकर चाहे वे मुलाकात के पीछे कोई भी कारण क्यों न बतायें, लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर मुख्यमंत्री से मिलने गये थे।
अब एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजधानी का राजनीतिक तापमान बढ़ने लगा है। राजभर की मुख्यमंत्री से मुलाकात भर से यह माना जाने लगा है कि अब जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार की तिथि तय हो जायेगी। इसके लिए शुभ मुहूर्त भी देखा जायेगा। इसके साथ ही मंत्री के दावेदारों की धड़कनें भी तेज होने लगी है। इतना ही नहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है इस कारण मंत्रियों के चेहरों पर चिंता भी दिखने लगी है।
वर्तमान में मंत्रिमंडल विस्तार में खरमास भी अड़चन है। इसके बाद यह देखना होगा कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद शुभ मुहूर्त देखा जायेगा अथवा इससे पहले भी विस्तार संभव है। लेकिन यह तो आने वाले समय में भी पता चलेगा।