Dainik Athah

कलाकार की कला से आकार लेता है भविष्य : गजेंद्र चौहान

ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल हुआ शुभारंभ

अथाह संवाददाता
नोएडा।
दो दिवसीय ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का गलगोटिया विश्वविद्यालय में शुभारम्भ हो गया। प्रेरणा मीडिया शोध संस्थान नोएडा और गलगोटिया विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे फिल्म फेस्टिवल का महाभारत सीरीयल में धर्मराज युधिष्ठिर की भूमिका निभा चुके प्रसिद्ध अभिनेता गजेंद्र चौहान ने अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में उपस्थित अतिथियों में फिल्म लेखक और निर्देशक आकाश आदित्य लांबा, टेलीविजन और फिल्मों की जानी मानी कलाकार सुप्रिया शुक्ला, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर, क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह, गलगोटिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार नितिन गौड़, कुलाधिपति की सलाहकार रेनू लूथरा का अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह के साथ स्वागत किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन 26 चयनित फिल्मों को चार स्थानों पर दिखाया गया।

इस अवसर पर गजेंद्र चौहान ने कहा कि कलाकार वह है जो अपनी कला से भविष्य को आकार देता है। कला अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है। कलाकार वही है जिसके अंदर जिज्ञासाएं हैं। पटकथा लेखक और निर्देशक आकाश आदित्य लांबा ने भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सिनेमा में इन्नोवेशन आवश्यक है, हमें इन्नोवेटिव होना चाहिए। भारत में सकारात्मक चिंतन का नया वातावरण बन रहा है। हम सभी को भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए।
टेलीविजन और फिल्मों की जानी-मानी कलाकार सुप्रिया शुक्ला ने कहा कि हमें अपनी फिल्मों में अपनी संस्कृति दिखानी चाहिए। दुनिया के तमाम देश अपने सिनेमा में अपनी संस्कृति को गौरव के साथ दिखाते हैं। हमारे पास तो संस्कृति के विविध तत्व मौजूद हैं, जिन्हें सिनेमा के जरिए दर्शकों तक पहुंचाया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर ने कहा कि जला हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपकों को जला सकता है। हजार बुझे हुए दीपक एक दीपक नहीं जला सकते, लेकिन एक जला हुआ दीपक हजारों बुझे हुए दीपकों को जला सकता है हम सभी को जला हुआ दीपक बनना है। आने वाले समय में भारत की संस्कृति पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगी। सिनेमा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वहीं क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने कहा कि हमें आने वाले 25 वर्षों के लिए अपनी भूमिका तय करनी है। विश्व गुरु भारत और वसुधैव कुटुंबकम के लिए वर्तमान में अपनी भूमिका तय करनी है। आने वाले समय में भारत निश्चित रूप से विश्व गुरु बनेगा। फिल्में भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। धर्म जागरण मंच, उत्तर क्षेत्र के प्रमुख राकेश जी ने कहा कि कला सभी के अंदर होती है, लेकिन उसका सही उपयोग करना आना चाहिए। कला का प्रयोग राष्ट्र उत्थान में करना चाहिए।

गलगोटिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नितिन गौड़ ने कहा कि आम लोग कला और कलाकार को अपने जीवन में उतारते हैं, इसलिए उनकी जिÞम्मेदारी भी बढ़ जाती है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की सलाहकार रेनू लूथरा ने कहा कि फिल्मों से घटनाओं को अनुभव किया जा सकता है। कला को जीवंत करने के लिए भावनाएं और प्रयास लगते हैं। उन्होंने कश्मीर फाइल और केरल स्टोरी का उदाहरण देकर अपने अनुभव के बारे में बताया।

ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के प्रथम सत्र के प्रारंभ में गलगोटिया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन डॉ आज्ञाराम पांडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि फिल्म फेस्टिवल में देश के विभिन्न राज्यों से 200 से अधिक फिल्मों की एंट्री आईं, जिसमें 111 फिल्मों को फेस्टिवल की थीम के अनुरुप चयनित किया गया। फिल्मों की समीक्षा फिल्म जगत से जुड़े लोगों द्वारा की गई और उनमें से श्रेष्ठ का चयन किया गया। प्रथम सत्र के अंत में राष्ट्रगीत का गायन हुआ।

फेस्टिवल के द्वितीय सत्र में अभिनेता गजेंद्र चौहान ने ‘फिल्म मेकिंग की मास्टर क्लास’ में कलाकारी के गुर बताए तो कार्यक्रम के तृतीय सत्र में इंटरएक्टिव सेशन के दौरान छात्रों और उपस्थित लोगों के पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए। आपको बता दें कि कार्यक्रम के तृतीय सत्र में फिल्मों के एजेंडें पर बात की गई। इस सत्र को सम्बोधित करते हुए फिल्म समीक्षक और लेखक विष्णु शर्मा ने बताया कि कैसे छोटे छोटे सीन्स, डायलॉग्स और गीतों के जरिए, तमाम शक्तियां अपना एजेंडा चलाने की कोशिश करती हैं। ऐसा एजेंडा जो देश के सामाजिक ताने बाने और उसकी संस्कृति को नुकसान पहुंचाता है। भाजपा नेत्री क्षमा शर्मा ने फिल्मों के बदलते स्वरूप और
आज के परिवेश में फिल्मों की महत्ता पर चर्चा की तो एंटरटेनमेंट एडिटर एंड एंकर नीतू कुमार ने बॉलीवुड फिल्मों के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा की और कहा फिल्मो ने न केवल लोगों को जागरुक किया है बल्कि इसके अच्छे बुरे प्रभाव भी लोगों पर पड़े हैं। इस अवसर पर फिल्म, टेलीविजन, पत्रकारिता, लेखन और शिक्षा जगत से जुड़े कई गणमान्य लोग उपस्थित रहें।


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