Dainik Athah

साहिबाबाद क्षेत्र में हुई पाल समाज के युवक की हत्या को भुनाने के प्रयास में राजनीतिक दल

  • बसपा के बाद अब सपा भी उतरी अर्थला में हुई हत्या के मामले में मैदान में
  • 28 को पहुंचेगा सपा का प्रतिनिधि मंडल गाजियाबाद
  • भाजपा में भी गुटबाजी, विधायक बैकफुट पर

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
गाजियाबाद के साहिबाबाद थाना क्षेत्र में हुई दीक्षित पाल हत्याकांड राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा बनता जा रहा है। बसपा के बाद समाजवादी पार्टी भी इस हत्याकांड को भुनाने के प्रयास में जुट गई है। दूसरी तरफ इस मामले में भाजपा विधायक सुनील शर्मा बैकफुट पर है। घटना के कई दिन बाद उन्होंने परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

बता दें कि लेन देन के विवाद में 17 अगस्त को दीक्षित पाल की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में साहिबाबाद से भाजपा विधायक सुनील शर्मा के कार्यालय प्रतिनिधि हरीशचंद्र शर्मा के पुत्र आयुष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोप है कि दीक्षित पाल की हत्या पीट पीटकर की गई थी। इस मामले में बसपा नेता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मृतक युवक के पिता की बात पार्टी के प्रदेश से अध्यक्ष से करवाई। इसके साथ ही पार्टी इस मामले को लगातार तूल दे रही है। इस मामले में अधिकांश लोगों का मानना है कि एक अकेला युवक इस प्रकार पीट पीटकर हत्या नहीं कर सकता। उसके साथ अन्य लोग भी थे। मांग उसके साथियों को गिरफ्तार करने की है। इसके साथ ही मृतक आश्रितों को किसी भी प्रकार के मुआवजे का ऐलान भी नहीं किया गया।

इस पूरे प्रकरण में क्षेत्र के विधायक के साथ ही पूरी भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आरोपी का पिता भाजपा विधायक का करीबी है। इस मामले में अब समाजवादी पार्टी भी कूद रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा का प्रतिनिधि मंडल मृतक दीक्षित पाल के घर पहुंचेगा और पूरी रिपोर्ट सपा प्रमुख को देगा। मामले के तूल पकड़ने के बाद ही इस समय राजस्थान में संगठन कार्य में व्यस्त साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मृतक आश्रितों को आर्थिक सहायता की मांग की है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार इस मामले में भाजपा के पिछड़ा वर्ग के नेताओं के बैकफुट पर होने एवं उनकी चुप्पी से भी पीड़ित परिवार में रोष है। पिछड़ा वर्ग के अनेक नेता गाजियाबाद में रहते हैं बावजूद उनकी चुप्पी को भाजपा की आपसी गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके साथ ही भाजपा के ही एक पार्षद इस मामले में मुखर है। इस पार्षद ने पिछले दिनों गाजियाबाद आगमन पर जिले के प्रभारी मंत्री असीम अरुण से भी पीड़ित पक्ष को मिलवाया था। भाजपा सूत्र बताते हैं कि पार्टी की गुटबाजी के तहत ही इस मामले को भाजपा के ही कुछ लोग तूल देना चाहते हैं। अब देखते हैं कि आने वाले समय में भाजपा, पुलिस एवं प्रशासन किस प्रकार इस मामले को ठंडा कर पाता है।


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