Dainik Athah

भाजपा का प्रयास परवान चढ़ा तो हो जायेगी बल्ले बल्ले

  • जिला पंचायत अध्यक्ष- सदस्य 2024 में कितने हो पायेंगे सफल
  • चुनाव जीतने के बाद आम जनता से जिला पंचायत सदस्यों की बन जाती है दूरी
  • भाजपा 2024 के मद्देनजर कितना सक्रिय कर पाती है सदस्यों को यह देखने की बात

    अथाह ब्यूरो
    लखनऊ।
    भारतीय जनता पार्टी का इन दिनों 2024 के लोकसभा चुनावों पर फोकस है। पार्टी की रणनीति जिला पंचायत अध्यक्षों के साथ ही जिला पंचायत सदस्यों के सहारे ग्रामीण क्षेत्रों में वोट प्रतिशत बढ़ाने पर है। लेकिन गांवों से चुनकर आने वाले ये जिला पंचायत सदस्य पार्टी के लिए कितना काम कर पायेंगे यह तथ्य महत्वपूर्ण है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में जिला पंचायतें गुटबाजी की भेंट चढ़ी हुई है।
    भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना नहीं चाहती। यहीं कारण है कि पार्टी की नजर अब ग्रामीण मतदाताओं पर लगी है। यहीं कारण है कि पूरे प्रदेश में क्षेत्रवार जिला पंचायत अध्यक्षों एवंं सदस्यों के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। अधिकांश स्थानों पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने ऐसे प्रशिक्षण शिविरों का उद्घाटन किया। इसके साथ ही केंद्र व प्रदेश के अनेक नेताओं ने जिनमें उप मुख्यमंत्री भी शामिल है ने इन प्रशिक्षण शिविरों को संबोधित किया और ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ने के तरीके बताये।
    अब यदि प्रदेशभर की जिला पंचायतों को देखें तो स्थिति यह है कि सत्ता के साथ ही पैसे के बल पर जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य चुनाव में जीतकर आते हैं। जिन जिलों में जितनी अधिक प्रतिद्वंदिता होती है जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में बोली भी उतनी ही लगती है। इसके बाद भी जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ आने वाले सदस्य भविष्य में उनके साथ ही रहेंगे इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। इस स्थिति में समझा जा सकता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों की स्थिति क्या है। हां इतना अवश्य है कि कुछ ही जिला पंचायत सदस्य ऐसे होते हैं जिनका पूरा ध्यान अपने क्षेत्र पर होता है। ऐसे सदस्य बिकने के स्थान पर अपने क्षेत्र का विकास करवाने पर ध्यान केंद्रीत रखते हैं।
    यदि भाजपा सूत्रों पर भरोसा करें तो प्रदेश में अब तक जितने भी प्रशिक्षण वर्ग जिला पंचायत अध्यक्षों एवं सदस्यों के हुए हैं उनमें मौजूद रहने वालों में बड़ी संख्या स्थानीय पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की रही। ऐसे में सवाल खड़े होना तो लाजमी है।
    भाजपा सूत्र बताते हैं कि इस स्थिति की जानकारी प्रदेश नेतृत्व को भी है। यहीं कारण है कि पार्टी ऐसी रणनीति बना रही है जिससे अधिक से अधिक जिला पंचायत सदस्य भाजपा से जुड़ सकें। ऐसे में जल्द ही इनको भाजपा में शामिल करने का पटका पहनाया जा सकता है। लेकिन लंबी गाड़ी में घूमने के आदि इन जिला पंचायत सदस्यों को सीधे ग्रामीणों से जोड़ने में पार्टी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

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