Dainik Athah

काशी, महाकाल की तरह सभी ज्योतिर्लिंग का विकास हो: मोरारी बापू

  • द्वादश ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा के 11 वें पड़ाव पर महाकाल मंदिर में राम कथा
  • महाकाल कॉरिडोर के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा की
  • युवा इंटरनेट पर सनातनी ग्रंथों को पढ़ते रहें

राज कौशिक
उज्जैन।
विश्व प्रसिद्ध राम कथा वक्ता मोरारी बापू ने कहा कि सभी ज्योतिर्लिंग और तीर्थों का विकास महाकाल कॉरिडोर की तरह किया जाना चाहिए। उन्होंने महाकाल कॉरिडोर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर प्रशंसा की।
द्वादश ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा के 11वें पड़ाव में महाकाल मंदिर परिसर में राम कथा करते हुए बापू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पूरी टीम और प्रदेश सरकार को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रशंसा करने का कोई हेतु नहीं है लेकिन अगर अच्छा कार्य हुआ है, उसे अच्छा बताया जाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अभी तो आधा ही काम हुआ है लेकिन बहुत कुछ सुविधाजनक और बदला हुआ दिखाई दे रहा है। संकल्प मजबूती के साथ ले लिया जाए तो समय भी बाधा नहीं बन पाता है।
बापू ने कहा कि अगर समृद्धि हमें भाव शून्य कर दे, ये घाटे का सौदा होगा। ऐसी प्रगति, ऐसी भौतिक उन्नति किसी काम की नहीं है जो हमारे भगवत स्मरण को घटा दे और हमारी आंखों के आंसुओं को सुखा दे।
मोरारी बापू ने कहा कि आपाधापी में लोग प्रसन्न रहना तो भूल ही रहे हैं, हद तो ये है कि वो रोना भी भूल रहे हैं। कई लोग खुद मुझसे कहते हैं कि धन संपत्ति तो खूब कमा ली मगर अब किसी भी बात पर आँखें नम नहीं होतीं। मेरा साफ कहना है कि ये घाटे का सौदा है। कुछ भी कमा लो और संवेदनाओं को गंवा दो तो बहुत नुकसान की बात है। ऐसी समृद्धि दो कौड़ी की है जो व्यक्ति को भावशून्य बना दे।
बापू ने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलने वालों को बहुत कुछ सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर कहीं अच्छाई है तो उसके विरोध में बुराइयाँ संगठित होंगी ही। कलियुग में मुस्कराते हुए हर विपरीत स्थिति का सामना करते हुए उसे सहन करना भी तप है। मुस्कराते हुए सब सहन करें और दूसरों की भलाई ही करें। ये एक तपस्या है। जहर पीने पर ही शिव तत्व की प्राप्ति होती है। कष्ट सहने पर ही ईष्ट मिलते हैं। जब ईष्ट मिलते हैं तो हर प्रहार शंभू का प्रसाद बन जाता है।
बापू ने युवाओं से अपील की कि वो रामचरित मानस और अन्य ग्रंथों का महत्व समझें। युवा कह सकते हैं कि भागदौड़ भरे जीवन में ग्रंथ पढ़ने का समय नहीं मिलता मगर मैं कहता हूं कि आज के इस दौर में इंटरनेट के जरिए भी बहुत से ग्रंथ पढ़ सकते हैं। हमारी कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है।


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