भाजपा ने राष्टÑीय पदाधिकारियों में बदलाव के साथ दिया बड़ा संदेश
जितना बड़ा उत्तर प्रदेश उतनी ही भागीदारी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेताओं को मिली अहम जिम्मेदारी
अशोक ओझा नयी दिल्ली/ लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को राष्टÑीय पदाधिकारियों की घोषणा कर 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही इसी वर्ष होने वाले राजस्थान विधानसभा एवं इसके बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत समूचे उत्तर प्रदेश को साधने का काम किया है। जिस प्रकार राज्यसभा सांसद एवं भाजपा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नागर को पदोन्नत कर राष्टÑीय सचिव बनाया गया है उससे कई राज्यों के गुर्जर समाज को संदेश देने का काम भी किया गया है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश से रेखा वर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी तारिक मंसूर को राष्टÑीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही अरुण सिंह का राष्टÑीय महामंत्री पद बरकरार रखा गया है। पिछले दिनों अरुण सिंह के संबंध में जमकर अफवाहें उड़ाई गई थी। दुष्यंत गौतम का राष्टÑीय महामंत्री पद यथावत रखा गया है। गोरखपुर से आने वाले राधा मोहन दास अग्रवाल को राष्टÑीय महामंत्री बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री सुनील बंसल जो मूलरूप से राजस्थान से आते हैं को भी महामंत्री बनाया गया है। पार्टी ने एक बार फिर से राष्टÑीय सह संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंप कर यह बात दिया कि उनका स्थान यथावत है। संघ के प्रचारक के नाते उनके कामों की सराहना भी होती है। इसके साथ ही सुरेंद्र सिंह नागर को राष्टÑीय सचिव एवं बरेली के राजेश अग्रवाल को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राष्टÑीय पदाधिकारियों में फेरबदल के साथ ही भाजपा ने सबसे बड़ा संदेश गुर्जर समाज को देने का काम किया है। सौम्य स्वभाव के सुरेंद्र सिंह नागर को जिस प्रकार राष्टÑीय सचिव बनाया गया है उसके माध्यम से भाजपा देशभर के गुर्जर समाज को साधने का काम करेगी। खतौली उप चुनाव में भाजपा को सीट गंवानी पड़ी थी और रालोद के मदन गोपाल गुर्जर उर्फ मदन भैया ने जीत हासिल की थी। इससे संदेश गया है कि गुर्जर समाज भाजपा से नाराज है। मूलरूप से बुलदंशहर जिले के गुलावठी कस्बे के निवासी नागर नोएडा से बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। इतना ही नहीं हरियाणा, राजस्थान के गुर्जर भी उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। जानकारी के अनुसार राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत के सामने एक दशक पूर्व गुर्जर समाज के प्रभावी नेता ने ताल ठोंक दी थी। उस समय भी सुरेंद्र सिंह नागर ने दुष्यंत की राह आसान करवाई थी। नागर के जरिये भाजपा समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कमल खिलाने का प्रयास करेगी। जिन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था उनमें से सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रामपुर और नगीना शामिल है। उप चुनाव में रामपुर सीट भाजपा ने पहली बार जीत ली है। इन सभी सीटों पर गुर्जर समाज निर्णायक की भूमिका में है। लेकिन सुरेंद्र सिंह नागर के जरिये भाजपा इन सीटों पर कमल खिलाने के प्रयास में है। सुरेंद्र सिंह नागर का राजस्थान के साथ ही हरियाणा के गुर्जर समुदाय में भी प्रभाव है। उनका लाभ इन दोनों प्रदेशों के साथ ही भाजपा जम्मू कश्मीर तक उठाने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही सूची में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मी कांत वाजपेयी के माध्यम से भाजपा ने ब्राह्मणों एवं राजेश अग्र्रवाल एवं राधा मोहन दास अग्रवाल के माध्यम से वैश्य समाज को साधने का प्रयास किया है। इतना ही नहीं दुष्यंत गौतम को फिर से राष्टÑीय महामंत्री बनाकर दलित समाज को भी साधने का प्रयास किया गया है। वहीं, तारिक मंसूर के माध्यम से भाजपा शिक्षित मुस्लिमों एवं पसमांदा समाज को साधने का काम करेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि राष्टÑीय टीम में मामूली फेरबदल करने के बावजूद जेपी नड्डा ने 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान एवं हरियाणा को साधने का काम किया है।