Dainik Athah

मिर्जापुर के खसरा संख्या 529 की आड़ में रक्षा सम्पदा की भूमि बेचने वाला मजीद गिरफ्तार

अथाह संवाददाता
 गाजियाबाद। विजय नगर क्षेत्र के मिर्जापुर की आबादी के खसरा संख्या 529 की आड़ में खाली पड़ी राइफल रेंज की सैन्य भूमि को फर्जी तरीके से बेचे जाने के मामले में मुख्य आरोपी विक्रेता मजीद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जबकि अन्य आरोपी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। एसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि सब रजिस्ट्रार नवीन राय ने एक मुकदमा पंजीकृत कराया था जिसमें आबादी की खसरा संख्या 529 की भूमि बताकर खाली पड़ी सेना की भूमि को फर्जी तरीके से बेच दिया। एसडीएम की जांच में मामला सही पाया गया जिसके आधार पर विक्रेता मजीद,खरीदार समीर मलिक,गवाह ओमपाल व नीरज गर्ग के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि मजीद ने पूछताछ में जो जानकारी दी वह बेहद चौंकाने वाली है। एसीपी ने बताया कि भूमि बिक्री में मिली रकम में उसके खाते में 4 करोड़ 35 लाख रुपए डाले गए जिन्हें गवाह आदि ने मिलकर बांट लिए। बातचीत से पता चलता है कि मजीद इस गोरखधंधे का मोहरा भर है। उन्होंने कहा पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है जो भी जमीन की सौदेबाजी व करोड़ों की रकम की बंदरबाट में शामिल होगा उसे किसी कीमत बख्शा नहीं जाएगा।बतादें कि खसरा संख्या 529 की आड़ में सैन्य भूमि का सौदा होने की खबर को दैनिक अथाह ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसका संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने तुरंत जांच बैठाई। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर एसडीएम विनय कुमार सिंह की तत्परता से की जांच में घपलेबाजी उजागर होने पर उप निबंधक पंचम ने मुकदमा दर्ज कराया।ताज्जुब इस बात का है विक्रेता ने जिस खसरा नंबर 529 की भूमि को आवासीय खाली दर्शाया है उस खसरा संख्या 529 में आज भी आबादी दर्ज है। की गई रजिस्ट्री में इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया कि बेची गई जमीन कहां है। मतलब कागजों में गोलमाल कर जमीन का सौदा किया गया। 17 अगस्त 2022 को मजीद पुत्र स्व अब्दुल अजीज निवासी 12 ग्राम अर्थला मोहन नगर गाजियाबाद ने सैमटेक एसोसिएट्स प्रा लिमिटेड के डायरेक्टर समीर मलिक व शबाना मलिक निवासी मकान नंबर 42 गली नंबर 1 हबीब कॉलोनी जस्सीपुरा गाजियाबाद को सदर तहसील सब रजिस्टार के यहां रजिस्ट्री की थी । 22377. 70 वर्ग गज यानी 18710 वर्ग मीटर जमीन का सौदा 10 करोड़ पचास लाख में हुआ। बॉक्स निष्पक्षता से जांच हुई तो कई और चेहरे होंगे बेनकाब आबादी की भूमि की आड़ में बेची गई रक्षा संपदा की भूमि के मामले में यदि पुलिस प्रशासन ने पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से जांच की तो क्रेता विक्रेता गवाह के अलावा और भी चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। क्योंकि जमीन को बेचने वाले जिस बुजुर्ग मजीद को मोहरा बनाया गया उसकी माली हालत देखने से साफ पता चलता है कि जमीन के इस खेल में कई और लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जमीन बिक्री से मिली करोड़ों रुपए की रकम मजीद के पास नहीं है तो आखिर किस-किस में बंटवारा हुआ। बताया गया कि मजीद के खाते में चार करोड़ 35 लाख रुपए जमा कराए गए जिन्हें आपस में गवाहों व अन्य लोगों में बांट लिया गया। बाकी की 6 करोड़ 15 लाख की रकम कहां किसके पास है इसकी पुलिस गहनता से जांच कर रही है। हालांकि पुलिस ने कहा है कि जमीन व पैसे के खेल में जो लोग भी संलिप्त पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी अब देखना होगा कि जमीन की फर्जी तरीके से  खरीद फरोख्त में व उससे मिली रकम के बंदरबांट में किस-किस के हाथ सने पाए जाते हैं।

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