- गाजियाबाद जिले के दो दर्जन स ज्यादा पार्षदों पर लटकी तलवार
- याचिकाओं में निर्वाचित पार्षदों के शपथ पत्रों के साथ ही अन्य मुद्दों को किया गया शामिल
- गाजियाबाद नगर निगम, मोदीनगर एवं मुरादनगर नगर पालिकाओं के पार्षदों के खिलाफ याचिका
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। स्थानीय निकाय चुनाव में विजयी पार्षदों एवं सभासदों को अब अदालतों के चक्कर काटने होंगे। निकाय चुनाव में जीत हासिल करने वाले दो दर्जन से ज्यादा पार्षदों एवं सभासदों के खिलाफ जिला जज की अदालत में वाद दायर कर उनके निर्वाचन को चुनौती दी गई है। ऐसे में इन पार्षदों एवं सभासदों के सिर पर तलवार लटकने लगी है। रिट याचिकाएं दायर होने के बाद निर्वाचित पार्षदों एवं सभासदों की बेचैनी भी बढ़ने लगी है।
गाजियाबाद जिला जज की अदालत में सबसे अधिक नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों से निर्वाचित हुए करीब दो दर्जन पार्षदों के खिलाफ उनके विरोधियों ने रिट याचिका दाखिल की है। जिन पार्षदों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है उनमें नगर निगम के वार्ड संख्या 82, 34, 93, 87, 26, 41, 83, 96, 66, 63, 75, 35, 20, 10, 73, 72, 89, 21, 9, 60, 10 समेत करीब दो दर्जन से ज्यादा वार्ड शामिल है।
इसके साथ ही मोदीनगर नगर नगर पालिका परिषद के वार्ड नंबर 31, 11, 14 और 20, मुरादनगर नगर पालिका परिषद के वार्ड दो एवं नौ के विजयी सभासदों के खिलाफ रिट याचिकाएं दायर करते हुए इनके निर्वाचन को चुनौती दी गई है।
जानकारी के अनुसार जिन लोगों ने पार्षदों एवं सभासदों के निर्वाचन को चुनौती दी है उन्होंने मुख्य रूप से शपथ पत्र की खामियों के साथ ही नामांकन फार्म में स्थान रिक्त छोड़ना, शपथ पत्र में गलत जानकारी देना, मतदाता सूची में नाम कुछ और नामांकन में नाम कुछ और, निर्वाचित का नाम एक से अधिक स्थानों पर मतदाता सूची में शामिल होना, जाति प्रमाण पत्रों को चुनौती देने के साथ ही तथ्यों को छुपाने समेत अलग अलग सवाल खड़े किये हैं। जानकारी के अनुसार लंबे समय बाद जब कोर्ट खुली है तब सबसे अधिक रिट याचिकाएं दाखिल की गई।
निर्वाचन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी पूरी जानकारी कार्यालय में नहीं आई है, लेकिन लगातार रिट याचिकाओं की संख्या बढ़ रही है। पूरे जिले में अब तक करीब ढाई दर्जन रिट याचिकाएं दाखिल हो चुकी है।
जैसे जैसे निर्वाचित पार्षदों एवं सभासदों को यह जानकारी मिल रही है कि उनके निर्वाचन को चुनौती दी गई है वैसे वैसे ही उनकी बेचैनी भी बढ़ने लगी है। अब सभी लोग अपने स्तर से यह जानकारी करने का प्रयास कर रहे हैं कि कहीं उनके खिलाफ तो कोई याचिका दायर नहीं की गई।