- पश्चिमी उप्र में चाहे पहले से ज्यादा सीटों पर जीती हो भाजपा
- गाजियाबाद जिले में महापौर के साथ केवल मोदीनगर में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत
- लोनी, खोड़ा और मुरादनगर निकाय फिसल गई भाजपा के हाथ से
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। केंद्र एवं प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा चाहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले से अधिक सीटें जीतने में सफल हो गई हो, लेकिन गाजियाबाद जिले के परिणाम भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही समर्थकों को कचोट रहे हैं। इनका यह मानना है कि कहीं न कहीं भाजपा के जिले के बड़े नेताओं और जन प्रतिनिधियों के बीच चल रही गुटबाजी इस हार का कारण रही है।
यदि गाजियाबाद जिले की बात करें तो 2017 में जिले में भाजपा ने महापौर के साथ ही मोदीनगर, मुरादनगर, लोनी और खोड़ा मकनपुर नगर पालिकाओं पर भी भगवा फहराया था। लेकिन 2023 के निकाय चुनाव में ऐसा लगा कि जिले में भाजपाई गुब्बारे की हवा ही निकल गई हो। गाजियाबाद महापौर और मोदीनगर नगर पालिका चेयरमैन सीट भाजपा ने रिकार्ड मतों के अंतर से जीती और प्रदेश में पहला स्थान बनाया। लेकिन अन्य नगर पालिकाओं में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
सबसे पहले जिले की हॉट सीट लोनी को लें तो यहां पर भाजपा ने एक कमजोर प्रत्याशी पुष्पा प्रधान को मैदान में उतारा। यह प्रत्याशी सीधे सीधे विधायक खेमे का माना जा रहा था। इस सीट पर जो अन्य दावेदार थे वे पहली बार विधायक नंद किशोर गुर्जर के खिलाफ लामबंद नजर आये, हालांकि प्रत्याशी से उनका कोई विरोध नहीं था। अन्य दावेदारों ने वीडियो जारी कर सीधे सीधे विधायक पर आरोप लगाये और उनका जवाब भी किसी को नहीं मिल सका। दूसरी तरफ रालोद प्रत्याशी रंजीता धामा जो पिछला चुनाव भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़कर जीती थी उन्हें रालोद के खतौली विधायक मदन भैया के साथ ही लोनी के पूर्व विधायक जाकिर का खुलकर समर्थन मिला। रंजीता मनोज धामा ने भाजपा खेमे में भी सेंध लगाने का काम किया। यह भी बता दें कि लोनी सीट गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में है।
खोड़ा नगर पालिका चेयरमैन सीट पर भाजपा ने निवृतमान चेयरमैन रीना भाटी को एक बार फिर मैदान में उतारा। रीना भाटी को विधायक सुनील शर्मा का खुला आशीर्वाद प्राप्त था। जबकि सांसद जनरल वीके सिंह इस सीट पर कालू यादव की पत्नी की पैरवी कर रहे थे। स्थिति यह थी कि साहिबाबाद क्षेत्र के कुछ चहेते पार्षद प्रत्याशियों के अपवाद को छोड़कर विधायक सुनील शर्मा ने पूरा समय खोड़ा का चुनाव लड़ने में गुजारा। बावजूद इसके उनके चिर प्रतिद्वंदी और पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा की पत्नी मोहिनी शर्मा इस सीट से जीतने में सफल हो गई।
मुरादनगर सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा ने महानगर महामंत्री गोपाल अग्रवाल की पत्नी रमा देवी को टिकट दिया। यहां से केंद्रीय राज्यमंत्री एवं सांसद वीके सिंह केडी त्यागी की पैरवी कर रहे थे। वहीं एक अन्य दावेदार एवं पूर्व चेयरमैन रेखा अरोड़ा पत्नी राधे कृष्ण अरोड़ा बागी उम्मीदवार बनकर मैदान में थी। लेकिन भाजपा की आपसी गुटबाजी के चलते यहां पर बसपा के पूर्व विधायक वहाब चौधरी की पत्नी छम्मी चुनाव जीतने में सफल रही। यहां पर तो भाजपा के महानगर अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश मंत्री एवं महानगर प्रभारी अमित वाल्मीकि ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे।
जिले में किसी भी नगर पंचायत में भाजपा प्रत्याशियों को विजय प्राप्त नहीं हो सकी। निवाड़ी, पतला और डासना में भी भाजपा के बागी प्रत्याशी मैदान में उतर गये थे। पूरे जिले में स्थिति यह है कि जहां जहां भी हार का सामना करना पड़ा वहां एक प्रकार से विधायकों एवं सांसद एवं केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह आमने- सामने है। लेकिन खुलकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। आपसी बातचीत में ही गुटबाजी स्पष्ट नजर आती है।