Dainik Athah

आपसी खींचतान: कांग्रेस के कमजोर होने का लाभ मिल सकता है सपा गठबंधन को

  • कांग्रेस में चल रही आपसी खींचतान पहले ही आ चुकी है सड़क पर
  • सपा गठबंधन की नजरें कांग्रेस के मतदाताओं एवं समर्थकों पर लगी
  • संगठन को पहले ही अपना विरोधी घोषित कर चुकी है कांग्रेस प्रत्याशी

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
यह शायद पहला चुनाव होगा जब कांग्रेस को नगर निगम चुनाव में अपनी उपस्थिति कायम रखने के लिए भी कठिन चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रत्याशी और कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी खींचतान का नतीजा है। दूसरी तरफ सपा गठबंधन कांग्रेस में घुसपैठ कर उसे जमीन दिखाने को उतावला है।
कांग्रेस ने महापौर पद के लिए इस बार उत्तराखंड की रहने वाली पुष्पा रावत को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन स्थिति यह है कि पहले दिन से ही प्रत्याशी और संगठन ही आमने- सामने खड़े हैं। ऐसे में विरोधियों को बहुत कुछ करने आवश्यकता भी नहीं है। यह खींचतान सड़क पर भी आ चुकी है। पिछले दिनों जब मंच से और मीडिया के समक्ष ही प्रत्याशी ने कांग्रेस संगठन पर सीधा आरोप लगा दिया कि संगठन मेरे साथ नहीं है, इससे स्थिति समझी जा सकती है। यह आरोप भी प्रांतीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दकी के सामने लगाया गया।
इस स्थिति में समझा जा सकता है कि जिस संगठन पर खुद प्रत्याशी ने ही आरोप लगा दिया हो तो उस संगठन के नेता तो मात्र औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब काम करने के बावजूद प्रत्याशी ने ही आरोप लगा दिया तो ऐसे में काम करने से ही क्या लाभ। हम भी चेहरा दिखा रहे हैं। इतना नहीं कांग्रेस के एक वरिष्ठ ने तो यहां तक कह दिया कि पुष्पा रावत का नाम कांग्रेस में गाजियाबाद में हमने कभी नहीं सुना। इससे स्थिति स्पष्ट है कि कांग्रेस की महापौर चुनाव में स्थिति क्या है।

चौकड़ी ने घेर लिया कांग्रेस प्रत्याशी को
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रत्याशी गाजियाबाद में कभी सक्रिय नहीं रही। इस स्थिति में उन्हें एक चौकड़ी ने घेर लिया है। इस चौकड़ी के नेता कभी कोई चुनाव नहीं जीते हैं। वे एक जगह बैठकर इधर उधर की लंबी हांकने में माहिर है। यहीं कारण है कि पार्टी के मजबूत एवं जनता में पकड़ रखने वालों को उनसे दूर रखा जा रहा है।

सपा को मिल सकता है लाभ
कांग्रेस प्रत्याशी के कमजोर होने का लाभ निश्चित ही सपा गठबंधन को मिल सकता है। इसके लिए सपा के नेताओं ने कांग्रेस के नीचे से लेकर ऊपर तक के जमीनी कार्यकर्ताओं को साधना शुरू कर दिया है। सपा गठबंधन अपने प्रयासों में कितना सफल होता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।


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