Dainik Athah

शहर की सरकार बनाने को चुनावी जंग में विकास होगा हथियार

  • सीएम योगी की पहल पर शहर को हासिल उपलब्धियों की लंबी सूची भाजपा की ताकत
  • विकास को मुद्दा बनाकर जातीय समीकरणों को ध्वस्त करने का मंसूबा जता चुके हैं सीएम

अथाह संवाददाता
गोरखपुर।
गोरखपुर में शहर की नई सरकार बनाने को चुनावी जंग का आगाज हो चुका है। जातिगत समीकरणों की बिछाई जा रही बिसात के बावजूद मुख्य चुनावी मुद्दा विकास ही होगा। विपक्षी दलों के समीकरणीय चक्रव्यूह को काटने के लिए भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर बीते पांच-छह साल में महानगर के हिस्से आई उपलब्धियों को हथियार बनाएगी।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2017 से स्वाभाविक तौर पर गोरखपुर में विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त नजर आती है।

इसके अलावा पीएम आवास, व्यक्तिगत शौचालय, आयुष्मान, स्वनिधि जैसी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की एक नई श्रृंखला भी तैयार हुई है। वार्ड स्तर तक सड़क, नाली, सीवरेज, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं में इजाफा होने के साथ खाद कारखाना, एम्स, रामगढ़ताल सौंदर्यीकरण, वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, चिड़ियाघर, योगिराज गंभीरनाथ प्रेक्षागृह, निमार्णाधीन सैनिक स्कूल और गोड़धोइया नाला कायाकल्प जैसे बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स भी नगर निगम की सीमा क्षेत्र में ही हैं। शहर की बड़ी समस्याओं में शुमार ट्रैफिक के प्रबंधन के लिए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस), सड़कों के चौड़ीकरण और गोलघर में मल्टीलेवल पार्किंग की सौगात मिलने के साथ नौसढ़ से पैडलेगंज तक सिक्सलेन फ्लाईओवर व खजांची चौराहे पर फोरलेन फ्लाईओवर का भी काम शुरू हो चुका है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि शहर में हुए और हो रहे विकास कार्य भाजपा की चुनावी रणनीति का आधार बनेंगे। अमूमन विपक्ष की तरफ से विकास को मुद्दा बनाकर सत्ताधारी दल की घेराबंदी की जाती है लेकिन गोरखपुर में नगर निकाय के चुनाव में विपक्ष की बजाय सत्ताधारी भाजपा इसे अपना ताकत बनाएगी। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव पूर्व हुए सार्वजनिक कार्यक्रमों में विकास को ही मुद्दा बनाने का मंसूबा जता चुके हैं।

योगी के लिए विकास ही हमेशा प्रमुख मुद्दा : सीताराम जायसवाल
गोरखपुर के निवर्तमान महापौर सीताराम जायसवाल का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए विकास ही हमेशा प्रमुख मुद्दा रहा है। सांसद से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक हमेशा उनका ध्यान विकास पर ही रहा। सांसद के रूप में जिन मुद्दों पर संघर्ष किया, सीएम बनने पर उसे पूरा किया। गोरखपुर को तो बिना मांगे भी बहुत कुछ देकर उन्होंने इसे विकास का नया मॉडल बना दिया है। उनके द्वारा कराए गए विकास के आगे किसी भी दल के जातीय समीकरण नहीं टिकने वाले।

अधिसूचना से पूर्व ही गोरखपुर मंडल को साध चुके हैं योगी
नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर मंडल के चारों जिलों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर व महराजगंज को साध चुके हैं। अधिसूचना जारी होने से पूर्व ही तेरह दिन में वह मंडल के चारों जिलों में दौरा कर 8616.43 करोड़ रुपये की सौगात दे चुके थे। निकाय चुनाव में जातीय समीकरणों को ध्वस्त कर ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने के लिए योगी के इस कदम को मास्टरस्ट्रोक के रूप में माना जा रहा है। निकाय चुनाव में सीएम योगी 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता में किसी भी तरह विपक्षी दलों की सेंधमारी नहीं होने देना चाहते हैं। इसके लिए गोरखपुर मंडल को मॉडल बनाकर तैयारी भी दिखती है। गोरखपुर मंडल की सभी 6 लोकसभा सीटों और 28 में से 27 विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। नगर निकाय चुनाव में भी यहां एक तरह से क्लीन स्वीप की मंशा है। इसके लिए समय रहते तैयारियों की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही संभाली। पहले 29 मार्च और फिर 8-9 अप्रैल को दौरा कर सीएम योगी मंडल के सभी चार जिलों में कानून व्यवस्था के धरातल पर विकास का दांव चल चुके हैं।

8 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में 10.43 करोड़ रुपये के ग्रामीण स्टेडियम, देवरिया में 480 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात दी। इस दिन उन्होंने गीडा क्षेत्र में 1071 करोड़ रुपये के निजी निवेश वाले पेप्सिको की फ्रेंचाइजी प्लांट का भूमि पूजन भी किया। 9 अप्रैल को गोरखपुर में 1046 करोड़ तथा इसी दिन महराजगंज में 2791 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इसके पहले वह 29 मार्च को कुशीनगर में 451 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात दे चुके थे। जबकि 28 मार्च को उन्होंने गोरखपुर में जीडीए की खोराबार टाउनशिप और मेडिसिटी परियोजना की आधारशिला रखने के साथ 3838 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास किया था।

2017 के बाद से ही मुख्यमंत्री के दौरों पर विकास कार्यों की सौगात मिलना आम बात है। पर, विगत दो बार के दौरे काफी हद तक नगर निकाय चुनाव को लेकर नागरिकों को सहेजने वाले थे। इसका लब्बोलुआब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबोधनों में भी नजर आया। कानून व्यवस्था विकास और जनकल्याण के जिस हथियार से 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में कामयाबी हासिल की गई, उसे ही निकाय चुनाव में भी आजमाया जाएगा। माना जाता है कि भाजपा ने इसी दांव से विपक्ष के जातीय समीकरणों को ध्वस्त किया है।

मुख्यमंत्री ने पिछले दौरों पर मजबूत कानून व्यवस्था का बखान किया तो यह समझाया कि जातिवाद से किसी का भला नहीं होगा। विकास व सबकी भलाई और रफ्तार से होती रहे, इसके लिए अब डबल इंजन में नगर निकाय का तीसरा इंजन भी जोड़ना होगा। अधिसूचना से पूर्व के अपने संबोधन में उन्होंने लोगों से सीधे तौर पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह नगर निकाय में बीजेपी के पक्ष में क्लीन स्वीप वाला परिणाम देने की अपील भी कर दी।


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