Dainik Athah

जब प्रकृति बचेगी तभी संस्कृति की रक्षा हो पायेगी: अश्विनी कुमार चौबे

  • पर्यावरण व जलवायु संरक्षण के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का काम काफी अच्छा है
  • दो दिवसीय नेशनल क्लाईमेट कान्क्लेव 2023 के द्वितीय सत्र में शामिल हुए महाराष्ट्र और उत्तराखण्ड के वन मंत्री
  • विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सत्र को सम्बोधित किया
  • कार्बन मुक्त देश बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश होगा अग्रणी: डा. अरूण कुमार सक्सेना

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
केन्द्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि हम संस्कृति प्रेमी हैं और पर्यावरण प्रेमी भी है। प्रकृति संस्कृति से जुड़ी हुई है। हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तो प्रकृति हमारी रक्षा करेगी। जब प्रकृति बचेगी तभी संस्कृति की रक्षा हो पायेगी। वह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय नेशनल क्लाईमेट कान्क्लेव 2023 के द्वितीय सत्र को संबोधित कर रहे थे।

चौबे ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि पर्यावरण व जलवायु संरक्षण के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का काम काफी अच्छा है। यहां पर बड़ी संख्या में पौध रोपण हुआ है। वन मंत्री डा.अरूण कुमार सक्सेना के नेतृत्व में बेहतर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि क्लाईमेट चेंज देश व दुनिया के लिए एक चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसल बर्बाद हो रही है। किसान परेशान होते हैं। क्लाईमेट चेंज के कारण देश भर में जब आवश्यक होता है, उस समय वर्षा नहीं होती है। इसका समाधान सभी देशों को परस्पर मिलकर संवादकर सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल हमें चलना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण की बात की गयी है। छिति जल पावक गगन समीरा। इन पंच तत्वों की रक्षा कराना हमारी जिम्मेदारी है। हम प्राचीन काल से वसुधैव कुटुम्बकम को मानने वाले लोग हैं। संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्स। देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते॥ यह हमारी पौराणिक मान्यताएं हैं। इसलिए हमें भारत की प्राचीन व समृद्ध संस्कृति से प्रेरणा लेकर प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण करना होगा।

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि अभियान के तहत पर्यावरण में सुधार लाना होगा। भारत में नगर स्तर पर जलवायु संरक्षण की योजना बना रहे हैं। स्मार्ट सिटी व अन्य महानगरों में जलवायु परिवर्तन कम कैसे हो इस दिशा में काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिर्वतन के सुखद परिणाम भारत में देखने को मिल रहे हैं। जो लक्ष्य भारत सरकार ने तय किया है उस लक्ष्य को हम सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर तय समय से पूर्व प्राप्त करेंगे। हर्ष का विषय है कि देश व दुनिया में सौर ऊर्जा व हाईड्रोजन के क्षेत्र में भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।

उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. अरूण कुमार सक्सेना ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशन में पिछले पांच वर्षों से विभाग द्वारा 135 करोड़ वृक्षों को रोपण किया गया है और इस वर्ष भी 35 करोड़ वृक्ष रोपे जाने हैं जिससे कि वातावरण में व्याप्त कार्बन डाई आॅक्साइड का अवशोषण वृक्षों द्वारा करके पर्यावरण स्वच्छ हो जायेगा। सरकार द्वारा लो कार्बन वाले उपकरणों को बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिससे कि वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा को अत्याधिक कम किया जा सके। मुख्यमंत्री के निर्देशन में गंगा के किनारे अमृत सरोवरों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि वेटलैण्ड में कार्बन शोषण की सबसे ज्यादा शक्ति होती है। वन मंत्री ने विश्वास दिलाया कि भारत सरकार द्वारा जीरो कार्बन युक्त देश बनाने की योजना में उत्तर प्रदेश अग्रणी रहेगा।

उदघाटन सत्र की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के वन राज्यमंत्री केपी मलिक, उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल और महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मनगुंटीवार प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।


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