Dainik Athah

आरआरटीएस ट्रेन की वायाडक्ट पर निरंतर हो रही टेस्टिंग

  • प्रायोरिटी सेक्शन पर शीघ्र परिचालन के लिए आरआरटीएस स्टेशन ले रहे आकार
  • रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और हवाई अड्डों से जोड़ा जायेगा आरआरटीएस को
  • अथाह संवाददाता
    गाजियाबाद।
    दिल्ली- गाजिÞयाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 17 किलोमीटर लंबे प्रायोरिटी सेक्शन के सभी स्टेशन निर्माण के अगले चरण में हैं और तेजी से आकार ले रहे हैं। इन स्टेशनों पर अब आरआरटीएस के नीले फसाड लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही यह सेक्शन दूर तक नीली आभा में रंगा हुआ नजर आने लगा है। आरआरटीएस को जहां जहां भी संभव होगा वहां बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों से भी जोड़ा जा रहा है।
    शुक्रवार को आरआरटीएस के निमंत्रण पर पत्रकारों ने आरआरटीएस का निरीक्षण किया। वर्तमान में आरआरटीएस के अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स की टेस्टिंग करने के लिए एनसीआरटीसी प्रायोरिटी सेक्शन में टेस्टिंग कर रहा है। आरआरटीएस के सुरक्षित और कुशल संचालन के लिए, इसके हर पहलू का स्वतंत्र रूप से परीक्षण किया जा रहा है। आरआरटीएस ने कहा कि यात्री- सुविधा पूरी परियोजना के कार्यान्वयन का केंद्र बिंदु है, इसीलिए एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर पर एलिवेटेड स्टेशनों के प्रवेश/ निकास का निर्माण सड़कों के दोनों ओर कर रहा है। यह न केवल आरआरटीएस से यात्रा करने के इच्छुक यात्रियों के लिए सुलभ पहुंच सुनिश्चित करेगा बल्कि पैदल यात्रियों को भी लिंक रोड और दिल्ली-मेरठ रोड जैसी व्यस्त सड़कों को सुरक्षित रूप से पार करने में भी मदद करेगा।
    इसके साथ ही अन्य पारगमन प्रणालियों के विपरीत, ये प्रवेश/निकास न केवल यात्रियों के लिए बल्कि पैदल यात्रियों के लिए भी सुलभ होंगे, जो आरआरटीएस स्टेशनों के भुगतान क्षेत्र में प्रवेश किए बिना प्रमुख सड़कों को पार करने के लिए उनका उपयोग कर सकेगें। यह पैदल यात्रियों की सुरक्षित आवाजाही में सहायता करने के साथ-साथ स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन में भी मदद करेगी। आरआरटीएस के अधिकांश स्टेशनों में 3 से 4 तल हैं। ऐसे में यात्रियों के लिए, विशेषकर बुजुर्गों, विकलांगों, बच्चों एवं महिलाओं के लिए यात्रा को सुगम बनाने एवं एक तल से दूसरे तल तक पहुंचने में सुविधा प्रदान करने के लिए उपयुक्त संख्या में लिफ्ट एवं एस्केलेटर्स की व्यवस्था की जा रही है।
    आरआरटीएस स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाने का काम भी जारी है। डबल-टेम्पर्ड ग्लास से लैस, इन प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स के विभिन्न पार्ट्स को जोड़कर कई चरणों में इसका इंस्टॉलेशन किया जा रहा है। प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स ट्रेन और ट्रैक के बीच में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ढाल के रूप में कार्य करेंगे, जिससे स्टेशनों पर बेहतर भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित किए जाने के साथ-साथ किसी भी अप्रिय घटना जैसे यात्रियों के पटरियों पर गिरने जैसी घटनाओं से बचाव संभव हो सकेगा। इस प्रकार, यह न केवल अप्रत्याशित घटनाओं को रोकने में मदद करेगा बल्कि दुर्घटनाओं के जोखिम को भी नगण्य कर देगा।
    आरआरटीएस ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा आरंभ से ही एनसीआरटीसी की प्राथमिकता रही है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स को आरआरटीएस ट्रेन के दरवाजों व ईटीसीएस लेवल-2 सिग्नलिंग सिस्टम, के साथ एकीकृत किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, ट्रेन के दरवाजे प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स के साथ साथ खुलेंगे और बंद होंगे। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन और प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स के दरवाजे बंद होने के बाद ही ट्रेन को चलाया जा सकेगा। इस सेक्शन में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम भी चल रहा है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्टेशनों में एंट्री-एग्जिट गेट से लेकर कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म लेवल तक सीसीटीवी इस तरह से लगाए जा रहे हैं कि स्टेशन परिसर में होने वाली सभी गतिविधियों की चौबीसों घंटे निगरानी की जा सके।
    आरआरटीएस ट्रेनों तक सभी की सुलभ पहुँच और सुगम-सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए ट्रेन के कोच में व्हीलचेयर एवं स्ट्रेचर के लिए एक निश्चित स्थान दिया गया है। स्टेशन पर भी स्ट्रेचर्स को लाने-जाने के लिए विशेष लिफ्ट की व्यवस्था की गई है। आरआरटीएस स्टेशनों से प्रतिदिन लाखों यात्रियों के यात्रा करने की उम्मीद है। उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने और स्टेशन तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, एनसीआरटीसी जहां भी संभव है स्टेशन पर एक डेडिकेटेड पिक-अप/ड्रॉप-आॅफ जोन का निर्माण कर रहा है रहा है। यात्रियों को भीड़भाड़, अव्यवस्थित ट्रैफिक और लंबी दूरी तक पैदल चलने के बाद ही स्टेशन के अंदर प्रवेश मिलता है। कनेक्टिविटी की कमी उन्हें भारी ट्रैफिक में सड़क पार करने के लिए मजबूर करती है, जिससे उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है और ट्रैफिक में बाधा उत्पन्न होती है। यह वर्षों से कई सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के आसपास एक आम प्रथा रही है। एनसीआरटीसी इस समस्या को संबोधित कर आरआरटीएस का कार्यान्वयन आरंभ होने से पहले ही इसका समाधान पेश करना चाहता था। जहां भी संभव हो स्टेशन बॉक्स के नीचे एक डेडिकेटेड कार ड्रॉप-आॅफ जोन बनाया जा रहा है ताकि यात्री अपनी सवारी से उतरते ही कुछ ही दूरी पर चलकर स्टेशन में प्रवेश कर सकें।
    यातायात के प्रबंधन के लिए और स्टेशन के भीतर और आसपास वाहनों के सुचारू और व्यवस्थित आवागमन के लिए, जहां भी संभव हो, यातायात को एकीकृत करके सभी प्रकार के वाहनों के लिए अतिरिक्त ड्राइव-इन स्पेस भी बनाया जा रहा है।
  1. इसके अलावा, पैदल यात्रियों के अनुकूल रास्ते, लिफ्ट/एस्कलेटर, बैठने की जगह और अन्य यात्री-केंद्रित सुविधाएं होंगी जो स्टेशनों पर सार्वभौमिक पहुंच की सुविधा प्रदान करेंगी। मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन एनसीआरटीसी द्वारा निमार्णाधीन आरआरटीएस का मूल सिद्धांत है। यह प्रधानमंत्री की गतिशक्ति योजना का एक अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक साधनों को लोकप्रिय बनाना और यात्रियों को इनका प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर जहां-जहां भी संभव है, स्टेशनों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अन्य साधनों जैसे बस अड्डों, हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों आदि से जोड़ा जा रहा है।
    आरआरटीएस ने कहा स्टेशनों का निर्माण इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) की उच्चतम रेटिंग के अनुसार किया जा रहा है जिसमें सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट प्रबंधन टैंक सहित पर्यावरण को बेहतर बनाने वाले विभिन्न कारकों का प्रावधान रखा गया है।
  • आरआरटीएस ट्रेनसेट की यात्री केंद्रित विशेषताएं

. लंबी नाक और प्लग-इन-दरवाजे के साथ एयरोडायनेमिक प्रोफाइल, उच्च गति पर हवा के खिंचाव को कम करने के लिए। . प्रवेश और निकास के लिए यात्रियों के लिए अधिकतम स्थान के लिए चौड़े गलियारे के साथ पूरी तरह से वातानुकूलित कोच। टिंट वाले बड़े खिड़की के शीशे बाहर का मनोरम दृश्य देंगे। . एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 22 ट्रांसवर्स सीटिंग, ओवरहेड लगेज रैक वाली कुशन वाली सीटें। . हर ट्रेन में एक ‘प्रीमियम क्लास कार’ जो आरामदेह, सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली होगी जिसमें अधिक लेगरूम, कोट हैंगर के साथ चौड़ी सीटें होंगी और वेंडिंग मशीन की सुविधा से सुसज्जित होगी। . महिलाओं के लिए आरक्षित एक कोच। . एनर्जी एफिसियेंट, रोशनी-आधारित आॅटो नियंत्रण परिवेश प्रकाश प्रणाली। . सीसीटीवी निगरानी, आधुनिक पैसेंजर अनाउंसमेंट और डिजिटल पैसेंजर इनफार्मेशन सिस्टम . हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग के लिए यूएसबी पोर्ट . दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की जगह और आपातकालीन चिकित्सा परिवहन के लिए स्ट्रेचर की जगह का प्रावधान . डायनेमिक रूट मैप डिस्प्ले, आपातकालीन संचार सुविधाएं . इंडोर और आउटडोर सर्विलांस सिस्टम . आंतरिक और बाहरी आग के लिए फायर डिटेक्शन सिस्टम।

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