भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा समाजवादी पार्टी पिछड़ा विरोधी
सपा नेता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान करते रहे: भूपेंद्र सिंह चौधरी
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने गुरूवार को समाजवादी पार्टी को पिछड़ा विरोधी बताया। उन्होंने सपा प्रमुख के बयान पर पटलवार करते हुए कहा कि अति पिछड़ों व अति दलितों को आरक्षण का लाभ देने में अड़ंगा खड़ा करने वाली समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की कथनी और करनी में काफी अंतर है। पिछड़े, दलितों सहित समाज का कोई भी वर्ग इनके बहकावे में नहीं आएगा। उन्हें पता है कि एक जाति और धर्म विशेष की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया की सरकार ने ही प्रदेश में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने में अड़ंगा डाला था। उन्होंने कहा भाजपा सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ी जातियों की समुचित भागीदारी दिलाने के लिए आयोग का गठन कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय में भी एसएलपी दायर कर दी गई है। उन्होंने कहा अब अखिलेश को घड़ियाली आंसू बहाने की जरूरत नहीं है।
भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पिछड़ों, दलितों, शोषितों, वंचितों सहित समाज के किसी भी वर्ग के चिन्ता नहीं है। वे झूठे आरोप और अनर्गल बयानबाजी कर जनता में भ्रम फैलाकर अपनी दरकी हुई राजनैतिक जमींन को सहेजने की नाकाम कोशिश कर रहें है। उन्होंने कहा कि पार्टी और सरकार दोनों ही शहरी निकाय के चुनाव में पिछड़ा वर्ग सहित समाज के किसी भी वर्ग का अहित नही होने देगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास की नीति है। जबकि अखिलेश यादव की नीति परिवार और अपने रिश्तेदारों के विकास तक सीमित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। पिछडों, अनुसूचितों तथा जनजाति बन्धुओं को आरक्षण सहित उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भाजपा व भाजपा सरकारों की प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहा कि यह वही सपा है जिसके नेता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी का अपमान करते रहे और दलितों, पिछड़ों के ऊपर अत्याचार भी करते रहे व उनके जमींन, मकानों पर कब्जे भी करते रहे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश न भूला है, ना भूलेगा अखिलेश यादव सरकार में पिछड़ों व अनुसूचित वर्ग का दमन तथा परिवारवाद, जातिवाद व तुष्टीकरण की घिनौनी राजनीति।