संघ- भाजपा- रालोद प्रकरण को लेकर विपक्ष की राजनीति
दोनों पक्ष लगे हैं समझौते के प्रयास में, रालोद चाहता है अपनी सहभागिता
भाजपा के जाट नेता भी समझौते के प्रयास में जुटे
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भाजपा- संघ कार्यकर्ताओं एवं रालोद के बीच शुरू हुआ विवाद सुलझाने के जितने प्रयास हो रहे हैं मामला उतना ही उलझता जा रहा है। अब स्थिति यह है कि दोनों पक्षों ने चुप्पी साध ली है। उधर रालोद नेता चाहते हैं कि उनकी मौजूदगी में समझौता हो।
बता दें कि 25 दिसंबर को संघ के बाल स्वयं सेवकों के पथ संचलन में जबरन स्कूटी ले जाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। बाद में संघ के स्वयं सेवकों को घर में ले जाकर पीटा गया। मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी होने के बाद रालोद के दबाव में कविनगर पुलिस ने संगीन धाराओं में भाजपा एवं संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली। यह रिपोर्ट उन लोगों के खिलाफ भी दर्ज हुई जो घटना के समय मौके पर नहीं थे। इसको लेकर भाजपा एवं संघ से जुड़े लोगों में पुलिस के प्रति नाराजगी है। इस मामले में पुलिस के एक अधिकारी पर अपने सजातीय लोगों के दबाव में रिपोर्ट दर्ज करने का आरोप भी है। मामले में भाजपा जन प्रतिनिधियों एवं महानगर अध्यक्ष ने पुलिस कमिश्नर से मिलकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया था।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में संघ से जुड़े कुछ लोगों के साथ ही भाजपा के कुछ जाट नेताओें ने समझौते का प्रयास शुरू किया था। लेकिन यह प्रयास भी अब तक परवान नहीं चढ़ सका है। इसके साथ ही थाने पर धरना देने पहुंचे रालोद नेता चाहते हैं कि समझौता उनकी मौजूदगी में हो। इसको लेकर सहमति नहीं बन पाई है। इतना ही नहीं भाजपा का एक जिम्मेदार नेता भी गुरुवार को शहर से बाहर थे। इस कारण भी मामला अटक गया। इस मामले में संघ स्वयं सेवकों पर हमला करने वाले आरोपी पक्ष की तरफ से कोई पत्र जारी होना था वह भी जारी नहीं हो सका।
मामले के लंबा खिंचने से गाजियाबाद कमिश्नरेट की मुश्किलें भी बढ़ रही है। जैसे जैसे मामला लंबा खिंच रहा है वैसे वैसे ही एक तरफ भाजपा व संघ की पुलिस के प्रति नाराजगी बढ़ रही है, दूसरी तरफ भाजपा विरोधी दल इस मुद्दे के सहारे एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा विरोधी दलों के एक होने से यह आरोप भी भोथरा होने लगा है कि वर्ग विशेष को लेकर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने टिप्पणी की थी। सूत्र बताते हैं कि मामला जैसे जैसे लंबा खिंचता जायेगा वैसे वैसे ही कमिश्नरेट के पुलिस अधिकारियों की परेशानी भी बढ़ती जायेगी। इस मामले में जिन लोगों ने क्रास एफआईआर करवाई थी वह पुलिस अधिकारी अवश्य भाजपा के निशाने पर है। हालांकि कोई भी पक्ष इस मामले में टिप्पणी से बच रहा है। अब देखना यह है कि समझौता चालू वर्ष में होता है अथवा नये साल में।