खतौली- रामपुर- मैनपुरी उप चुनाव के लिए मतदान आज
खतौली में क्या रंग लायेगी जयंत चौधरी- भूपेंद्र सिंह चौधरी की रणनीति
भाजपा के सामने सीट बचाये रखने की सबस बड़ी चुनौती
अशोक ओझा
मुजफ्फरनगर/ रामपुर/ मैनपुरी। जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खतौली एवं सपा के फायर ब्रांड नेता आजम खां की सीट रामपुर के साथ ही नेताजी मुलायम सिंह यादव की सीट मैनपुरी के उप चुनाव के लिए मतदान सोमवार को होगा। ये तीनों ही सीटें ऐसी है जहां भारतीय जनता पार्टी को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है।
वैसे तो आम धारणा यह है कि उप चुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ दल के पक्ष में आते हैं। लेकिन इस बार प्रदेश की तीन सीटों दो विधानसभा एवं एक लोकसभा में जीत हासिल करने के लिए पक्ष एवं विपक्ष दोनों को पसीने आ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खतौली सीट को लें तो यहां पर भाजपा विधायक विक्रम सैनी को दो वर्ष की सजा होने के बाद उनकी विधायकी चली गई। यहां पर भाजपा के सामने सीट को बचाये रखने की चुनौती है। भाजपा ने इस सीट पर विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी को मैदान में उतारा है। वहीं, सपा- रालोद गठबंधन से खेकड़ा के पूर्व विधायक मदन भैया को रालोद ने मैदान उतारा है। इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में मदन भैया ने गाजियाबाद की लोनी सीट पर भाजपा प्रत्याशी नंद किशोर गुर्जर को कड़ी टक्कर दी थी।
भाजपा ने खतौली सीट को जीतने के लिए दिन- रात एक किया हुआ है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां सभा कर कवाल के बवाल के घाव फिर से हरे कर दिये। यह उनकी रणनीति का हिस्सा था। इसके माध्यम से योगी हिंदु मतों के धु्रवीकरण का प्रयास कर गये। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने पूरे दो दिन खतौली को दिये। इस दौरान उन्होंने प्रमुख लोगों के साथ रणनीति भी बनाई। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तो लगातार खतौली में कैंप किये हुए हैं। यह चुनाव उनकी भी प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इसके साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सेमिफाइनल है। भाजपा ने यहां पर अपने तरकश के सभी तीर आजमा लिये हैं। भाजपा को विक्रम सैनी के व्यवहार से भी नुकसान हो रहा है। मतदाता उनकी बदजुबानी से नाराज है, बावजूद इसके भाजपा के जिला प्रभारी सत्येंद्र सिंह सिसौदिया का दावा है कि भाजपा खतौली में भारी मतों के अंतर से चुनाव जीतेगी।
दूसरी तरफ रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने लंबे समय से मदन भइया को जिताने के लिए खतौली में डेरा डाला हुआ है। वे इस चुनाव को अपने खुद के चुनाव की तरह लड़ रहे हैं। यहां पर दलित, त्यागी एवं पिछड़ा मतदाता समीकरणों में उलटफेर करने में सक्षम है। अब यह वक्त बतायेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
यदि बात रामपुर की करें तो आजम खां की यह सीट खुद आजम एवं सपा के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन चुकी है। भाजपा ने यहां से एक बार फिर आजम के धुर विरोधी आकाश सक्सैना को मैदान में उतारा है तो सपा ने आजम खां के खास आसिम रजा को फिर से प्रत्याशी बनाया है। लोकसभा उप चुनाव में भी आसिम ही यहां से प्रत्याशी थे। यहां पर आजम के आंसू कितने गुल खिलाते यह वक्त बतायेगा। हालांकि भाजपा ने यहां कोई कसर नहीं छोड़ी है। रामपुर यदि भाजपा के कब्जे में आती है तो माना जायेगा कि आजम का किला ध्वस्त हो गया।
बात मैनपुरी की करें तो सपा संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव की यह सीट बचाये रखना सपा के लिए चुनौती है। यहां पर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में है। इस सीट को बचाने के लिए अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के सामने भी समर्पण कर दिया है। अखिलेश यादव समेत पूरा परिवार मैनुपरी में डेरा डाले हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व सांसद एवं शिवपाल के करीबी रघुराज शाक्य को मैदान में उतारा है। यदि यहां भी भाजपा ने जीत हासिल कर ली तो यह माना जायेगा कि सपा अपना गढ़ भी बचा पाने में सफल नहीं हो सकी है। अब यह तो आठ दिसंबर को ही पता चलेगा कि कहां किसका पलड़ा भारी रहा है।