राजस्थान की सत्ता में महारानी का दबदबा अभी कम होता नजर नहीं आ रहा है। जो लोग महारानी को कमजोर मान रहे हैं उन्हें महारानी ने पायलट के मामले में स्पष्ट बता दिया कि उनका महत्व अभी कम नहीं हुआ है।
बता दें कि राजस्थान में जिस प्र्रकार पिछले दिनों घटनाक्रम बदला व सचिन पायलट ने अलग राह चुनी तो सभी को लग गया कि धुरंधर राजनीतिक गहलौत को अब पटखनी लग जायेगी। लेकिन कुछ दिन की शांति के बाद जैसे ही विधानसभा सत्र के दिन नजदीक आने लगे वैसे ही महारानी ने दांव खेला। उन्होंने अपना हैलीकाप्टर दिल्ली में लैंड करने के साथ ही भाजपा के बड़े नेताओं खासकर जेपी नड्डा एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर अपना दर्द बता दिया।
इसकी भनक जैसे ही पायलट को लगी कि महारानी उनकी लैंडिंग में रूकावट बन रही है तो उन्होंने फिर से अपना हैलीकाप्टर वापस मोड़ा एवं कांग्रेस मुख्यालय में उतार दिया। भाजपा में महारानी बड़ा फैक्टर है। विधानसभा चुनावों में चाहे यह नारा लगा हो मोदी तुमसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं। बावजूद इसके वे बड़ी संख्या में अपने समर्थक विधायकों को विजयी बनाने में कामयाब रही। वसुंधरा मुख्यमंत्री रहते हुए भी सत्ता के साथ ही संगठन अपनी मुठ्ठी में रखती थी।
लेकिन उनकी हार के बाद संगठन उनके हाथ से निकल गया। अब भाजपा संगठन के माध्यम से अपनी सरकार बगैर वसुंधरा के बनाना चाहती थी। लेकिन वसुंधरा समर्थक विधायकों ने भाजपा के साथ ही पायलट का हैलीकाप्टर जयपुर हवाई अड्डे पर नहीं उतरने दिया। यह तो सचिन पायलट विमान को कुशलता से चला रहे थे अन्यथा उनके विमान को क्रेश होने से कोई बचा भी नहीं सकता था।